सामाजिक अन्वेषण की सर्वेक्षण पद्धतियाँ | Samajik Anveshan Ki Sarvekshan Paddhatiyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
307
श्रेणी :
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सामाजिक अनुसन्धान के प्रकार
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सामाजिक शोध-अध्ययनों में कई आधारो पर भिन्नता पायी जाती है। कुछ शोध-कार्य
किसी जिज्ञासा को शान्त करने के लिए, तो कुछ केवल ज्ञान-प्राप्ति के लिए किये जाते हैं,
कुछ का रुक्ष्य प्रावकल्पनाओं का निर्माण तथा कुछ का किसी प्राक्कल्पना की सत्यता की
जांच करना होता है। किसी शोध का लक्ष्य किसी घटना का यथार्थ चित्रण करना, किसी का
सामाजिक समस्याओं के निराकरण हेतु विकल्पों का पता लगाना तथा कुछ का सामाजिक
नियोजन एवं नियोजित परिवर्तन की प्रभावकता का पता लगाना और समाज-कल्याण व
विकास कार्यक्रमों के सफल संचालन में योग देना है। इन विभिन्न लक्ष्यों या प्रयोजनों के
आधार पर सामाजिक शोध या अनुसन्धान के निम्नलिखित प्रकार हो सकते हैं :
1, अन्वेषणात्मक्ष अथवां निरूपणात्मक शोध
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जब शोधकर्ता किसी सामाजिक घटना के पीछे छिपे कारणों को ढूंढ निकाना चाहता
है ताकि किसी समस्या के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक पक्ष के सम्बन्ध में पर्याप्त ज्ञान प्राप्त
हो सके, तब अध्ययन के लिए जिस शोध का सहाद लिया जाता है, उसे अन्वेषणात्क या
निरूपणात्मक शोध कहते हैं। इस प्रकार की शोध का उद्देश्य किसी समस्या के सम्बन्ध में
प्राथमिक जानकारी प्राप्त करके प्रावकल्पना (५907«४७) का निर्माण और अध्ययन की
रूपरेखा तैयार करना है। हंसराज नामक विद्वान ने वताया है, “अन्वेषणात्तक शोध किसी
भी विशेष अध्ययन के लिए प्राक्कल्पना का निर्माण करने तथा उससे सम्बन्धित अनुभव प्राप्त
करने के लिए अनिवार्य है।' इस प्रकार के शोध द्वारा विषय अथवा समस्या का कार्य-कारण
सम्बन्ध ज्ञात हो जाता है। परिणामस्वरूप घटनाओं में व्याप्त नियमितता एवं श्रृंखलाबद्धता
को स्पष्टतः समझा जा सकता है। इस प्रकार के शोध के माध्यम से शोध-विषय की उपयुक्तता
का पता भी लगाया जाता है। उदाहरण के रूप में, यदि हम यह जानना चाहते हैं कि किशोरों
एवं युवकों में विचल्त व्यवहार या अपराधी व्यवहार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी
हैं तो इसके लिए हमें अन्वेषणात्मक शोध का सहारा ही लेना पड़ेगा।
इस प्रकार की शोषघ की सफलता के लिए कुछ अनिवार्य दशाओं का होना आवश्यक
है। अन्य शब्दों मे ऐसे शोध के लिए अग्नलिखित अनिवार्यताओं पर विशेष रूप से ध्यान
दिया जाना चाहिए :
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