वर्त्तमान राजस्थान | Varttaman Rajasthan

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Varttaman Rajasthan by रामनारायण चौधरी - Ramanarayan Chaudhari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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समपंण ... पं» अखसुनलालजी सेटी राजस्थान में राष्ट्रीयता के प्रणेता थे। इन्ही ने इस प्रान्त में आज़ादी की चाह का बीज बोया और “ अपने त्याग व तपस्या से सरींवा था ..... छेठ जमनाल्ालजी बजाज़ प्रान्त की रचनात्मक प्रवृत्तियों के जनक, पोषक और संचाज्ञक थे। प्रान्त में गाँधी तत्वों का. श्रवेश . और प्रखार उन्ही की सूक, सलाह और सहद्दायता से हुआ | देश : के सर्वोच्च नेताओं में स्थान पाकर उन्होंने राजस्थान: का गौरव बढ़ाया था। रा श्री० बिजयसिहजी परथिक राजस्थान की असली जनता के पहले मेता थे। उन्हीं मे यहां के किखानों को जगाया, उन्‍्हींने स्थानीय देशभक्ति की भावना को सज्जीव बनाया और उन्‍हींने . राजस्थानी युवकों को आजन्म देशन्सेवा की दीक्षा दी थी । सेठीजी की प्र रणा, सेठजी की उद्दारता, और पथिकज्ी के . पथ-अद्शेन से लेखक उपकृत हुआ दे । उसकी दृष्टि में आधुनिक राजस्थान के निमौता मुख्यतः यही तीन बज़ग कहे जा सकते हैं। इनके अलावा अनेक देशभक्तों, समाज सुधारकों, साहित्य सेवियों और छोटे-बड़े स्त्री.पुरुषों से इस सिर्मोण काय सक्रिय भाग लिया है। में हार्दिक आदर और प्रेम से यह पुस्तक इन सबको समप्रण करता हूं। दे --हमनारायण चौधरी




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