पूजातत्त्व | Pooja Tattv

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Pooja Tattv  by महामहोपाध्याय श्री गोपीनाथ कविराज - Mahamahopadhyaya Shri Gopinath Kaviraj

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about महामहोपाध्याय श्री गोपीनाथ कविराज - Mahamahopadhyaya Shri Gopinath Kaviraj

Add Infomation AboutMahamahopadhyaya Shri Gopinath Kaviraj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
५ पूजाद तत्व “विषतु अथवा परब्रक्ष के चार पाद कल्पना किये गये हँ---“चतुष्पात्‌ सकल ब्रद्वः । निगुण ब्रह्म के पाद कल्पना नहीं किये जा सकते क्योंकि वह निरंश है। इन चार पादों में से तीन पांद दिव्य भ्रथवा अमृत हैं और कालचक्र के आवत्तन के अतीत हैं। केवल एक पाद से ही समग्र परि- बर्तनशीद्ध विश्व श्राविर्भूत हुआ है और उसी के श्रश्रय अवस्थान करता है। अन्य प्रकार से परब्रद्धा अथवा परमात्मा के दो पद अथवा श्रवस्थाएँ बताई गई हैँ। इसमें एक परम पद! कहा गया है और दूसरा “अपर बंद! । यह दोनों ही विध्णुपाद नाम से श्रमिद्दित हैँ। “अपर पद” तीन भागों में विभक्त दे । इसलिए निम्नस्तर में तीन विष्णुपद शास्त्र में वर्शित हैं। 'त्रिविक्रम' नाम का भी यही तात्पय है। ऋग्वेद के “इद विष्णुर्वि- चक्रमे भेधा निदये पद” मंत्र में वि'सु के तीन पद का उल्लेशव हे किस्तु इसमें फोर भी 'परस पद! नहीं । विधूएु का अथवा परबह् का जो 'परम पद' है उसी को म्मस्णकर समस्त शुभकर्म आरम्भ किये शाते हैं । इसी का नाम बि'शु-स्मरण दे । इस पद में किसी ने कभी प्रवेश किया है या नहीं अ्रथवा कर सकता हे या नहीं यह कहना कठिन है। क्योंकि दिव्य तत्वशानी अथवा नित्यमुक्त पुरुष इसका निरंतर बुर से दर्शन करते रहते हैं--सदा पश्यन्ति | उनका दर्शन अविब्छित्र एवं झावरणुशुत्य है । यही वस्तुतः दिव्यचत्तु हैं अर्थात्‌ चुलोक-व्यात और प्रकाशमान चक्चु. के समान दै। इस दिव्यचक्तुवत्‌ परम पद को मन ही मन रुमरुण करते हुए शुभकाये आरम्भ करना चाहिए.। यह विश्वातीत एवं निर्विकल्प शान्त मंगद्यमय अद्वेत पद है |” हे ४* बाडः मे सनसि प्रतिष्ठिता, मनो में वबाचि प्रतिष्ितम्‌ । # आविराबीस एघि, ** आविरावीम एथि, 5* आविराबीम एपघि ॥२॥ मे ( मेरी ) वाक्‌ ( बाणी ) मनसि प्रतिष्ठिता (मन में अ्तिष्ठित हो जाय ) मे मनः ( मेरा मन ) वाचि प्रतिष्ठितम्‌ ( वाणी में प्रतिष्ठित हो




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now