संस्कृत के सन्देश काव्य | Sanskrit Ke Sandesh Kavya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
488
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( रस )
झृष्णुरमायिते & तु गोपायन्त्श्च काश्चन।
वत्सायतां हन्ति चान्या तन्नका तु बकायतीम॥ ?७॥
आरहय दुर्गा यद्वत हृष्णस्तमलुकुर्वतीमू।
बेसु क्यरान्ती क्रीडन्तीमन्या शसन्ति साध्विति ॥ रै८ ॥
क्रस्योचित् स्वम्ुज्ञ न्यस्य घलनन््त्याह्मपरानजु ।
कृष्णोडह पश्य गति ललितामिति तनन््मना ॥ १६ ॥
मा भेष्ट धातपर्पाम्या तत्वाण बिद्वित मया।
इत्युय्ल्यैकेन हस्तेन यतन्त्युन्निदधेडम्बरम् ॥ २० ॥
आस्दयका पदाउक्रम्य शिरस्यादह्यपरा छझुप।
दुशहे गच्छु जातोइहः खलाना नह्ठु दण्डघृक ॥ ?१॥
त्वेकोयाच हे गोपा दावार्ति पश्यतोट्यणम।
चत्तुप्याश्यपिद्ध्यमू थो विधास्थे क्षेममन्जसा॥ २? ॥
वद्धान्यया स्त्रजा फाचित्तन्यी तथ उलूसले।
भीता सुढक् पिधायास्य भेजे भीति प्िडम्बनम् ॥ २रे ॥
एवं रृप्ण पृच्छमाना बुन्दारनलतास्तरुन, |
स्यवक्षत् बनोदशे पदानि परमात्मन ॥२४॥
पदानि व्यक्मेतानि - नन्दसूनोमेद्वात्मन 1
लच्यन्ते द्वि ध्यज्ञाम्मोज्यज्ञाकुशययादिमि, ॥ २१ ॥ा
तैस्ते. पर्देस्तत्पदयीमनस्यिन््छुस्त्योडअ्रतोडवला ।
वध्या पर्दे सुधक्तानि पिलोक्यार्ता समठुत्न्॥ २६ ॥
फसया पदानि थैतानिं याताया ननन््दखुझछुना।
असन्यस्तप्रकोष्टाया करेणी करिणा यथा ॥ श्छता
इस कथा घ्सग के २४७, २४ और २६ में शलोक के आधार पर दी ध्रीरष्ण
सार्थभोम ने अपने पदायद्ूत फाव्य फी रचना की दे । इसके अतिरिक्त मोपियों का
अपनी विरहायस्था में थुन्ताथन फी लताओं ओर बृक्षों से धृष्ण के सम्बन्ध में
पूछना भी अनेक दूत कार्यों का मार्गमवर्तफ दे । है
भीमदुभागवत कै दशम स्कन्ध के ४६ दें अध्याय में मी सन्देश काव्य की कुछ
रूपरेखा पाई आती दे। एृष्ण अब गोकुल से मथुग आ जाते है. और थहदत दिनों तक
उन्हें गोइल जाने का अयसर दी नदों मिलता दे तग्र थे नन्द ओर यशोदा के दूर
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