आमने सामने | Aamane Samane
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कई कुत्ते कुत्तों की मौत नहीं मरते | 25
बेमौत और असमय में मर जाता है। इसी वजह से कोई आदमी जब ढंग
से नहीं मरता तो लोग कहते है कि कुत्ते की मौत मर गया । लोग जीने में
कला दूढते हैं। लोग 'लाइफ स्टाइल! की बात करते हैं । परल्तु कुत्तो की
तो एक ही मरण-शैली होती है--'डेच स्टाइल! जिसको वे बड़ी खूबी से
जानते हैं। हर 'माइन्यूट डिटेल” का शायद वे इतना बघूवी पालन करते
हैं कि उनका एक ट्रेड मार्क हो गया, एंक पेटेंट बन गया । यह पेटेंट मशहूर
भी इतना कि बहुत सारे आदमी भी आजकल इस पेट पर मरते है।
सहानुभूति में दो शब्द कहने का भी एक ढर्रा प्रचलित ही गया : आदमी
तो बहुत अच्छा था, नेक था परन्तु हालात मे इस प्रकार मजबूरिया थोपी
कि बैचारा कुत्ते की मौत मरा। इस तरह की संवेददाओ तथा शोक-सन्देशो
के बीच बहुत से लोग कुत्ते की मोत मरते हैं। मरने वालो की संख्या भी
खूब बढ गई जँसे कि मरने का भी कोई नया फैशन चल पड़ा हो । अलबत्ता
यह बात जरूर है कि हॉट डोज” खाने वाले लोग इस प्रकार की मौत
मरते कम देखे गये ।
रात्रि मे ज्योंही कुछ कुत्ते जरा जोर से हु-ह' करने लगते हैं तो मेरी
पत्नी को वडी चिन्ता होती 'है। अगर मैं सोया हुआ भी होऊं तो भी वह
मुन्ने जगाकर कहेगी । “देखो तो सही, कुत्ते रो रहे हैं, कोई बड़ा जादमी
मरने वाला है।' मैंने उसे कई वार समझाया कि जब कोई बड़ा आदमी
मरता है तो कुत्ते नही रोया करते, उध्षके रोने के लिए बहुत सारे लोग होते
हैं । सारा देश रोता है, झण्डे झुक जाते हैं, रेडियो पर चलते प्रोग्राम रुक
जाते है, नये प्रोग्राम शुरू हो जाते हैं, मातम की धुर्ने बजने लगती हैं।
इसलिए जब कुत्ते रोते हैं तो समझ लो कि बड़ा आदमी तो नही मरेगा 1
तुम्हारी आशंका वेबुनियाद है।
“कोई बहुत बड़ा आदमी न सही, छोटा-मोटा नगर-स्तर का आदमी
हो सकता है, आखिर इतने सारे कुत्ते वेमतलब थोड़े ही रोते हैं ! रात को
ऐसे बेववतत पर ! जरा सोचो, कोई न कोई कारण तो होगा ही ।” मेरी
पत्नी भी जिद पकड़ लेती है।
मेरी परनी मे एक भारतीय नारी के सभी गुण हैं। उनकी फेद्रिश्त
बनाना तो मुमकिन नहीं 1 उसमें तो गुण ही गुण हैं सिवाय दो छोटे-से
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