दूसरी आज़ादी | Dusri Azadi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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था और सहजता के साथ सत्य को झूठ में ढालने की कोशिश की जा रही थी। स्वर्गीय नेहरूजी के समय में विरोध का गला घोंटते की राजनीतिक पद्धति बहुत 'शालीन! थी। रेडियो, टेलिविजन और समाचारपत्न सरकारी मुद्ठी में थे तथा कई लोग विभिन्‍न ढंग से पुरस्कृत और सम्मानित किए जा रहे थे। कला-साहित्य को राजाथ्रय दिए जाने की “शालीन राजनीति” के हथियार से बड़ी सुविधा के साथ भौतिक आकर्षणों की ओर झुकनेवाले बुद्धिजीवियो के आलोचनात्मक दात भौथरे कर दिए जाते थे। जिन समाचारपत्नों मे गलत के प्रति विद्रोह प्रकट किया जाता था, उनके सरकारी विज्ञश्नन वनद कर दिए जाते थे या उन्हें 'साम्प्रदायिक', 'रूढिवादी” अथवा “प्रतिक्रियाबादी' कह दिया जाता था । देश का सारा भ्रचार-तंत् सरकार के हाथ में था ही और सरकार एक सम्राद्‌ की थी, अतः बड़ी आसानी से किसी भी दल, व्यवित-विशेष या बुद्धिजीवी पर जो लांछन लगाना चाहते, लगा दिया जाता। यही नही, कांग्रेस दल मे ही अगर इस पारिवारिक साम्राज्यवाद या नीतियो का विरोध होता तो ऐसे लोगों को किसी न किसी रूप में जन-सामान्य के सामने गलत तरह प्रचारित किया जाने लगता । किसीको अमरीकी एजेण्ट, किसीको सी० आई०ए० एजेण्ट, किसीको साम्प्रदायिक, किसीको किसी राष्ट्रनेता का हत्यारा या किसीको देशद्रोही कहा जाने लगमता। इस प्रचार-राजनीति मे हथियार बनते थे वे लोग, जो किसी भी देश की पीढिया बनाते हैं और जिन्हे बुद्धिजीवी कहा जाता है। साम्राज्य पनप रहा था। इस साम्राज्यवांद के विरुद्ध स्वर उठागेवाले लोगों को क्रमश सस्या से 'छांटा' जा रहा था। ऐसे प्रचारक बुद्धिजी वियों का एक उदाहरण दू। प्रसिद्ध पत्रकार, फिल्म- कार श्री ख्वाजा अहमद अब्बास की एक पुस्तक इन्दिराजी के प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रकाशित हुई थी, 'इन्दिरा ग्राधी - रिटर्न आफ दि रेड रोज” और उसके फौरन बाद ही उन्हीकी एक और पुस्तक प्रकाशित हुई 'इन्दिरा गांधी: सफलता के दस वर्ष! दोनो ही पुस्तकें इन्दिराजी के प्रति काफी 'समपित भाव से” लिखो गई थी, किन्तु अब्वास साहब का स्वतत्नचेता मन कही न कही इस दुविधा से भारी था कि वे उतना कुछ समपंण कर रहे है, जितना सभवतत. उन्हे (उनके भीतर बंठे निर्णायक और ईमानदार बुद्धिजीवी को) नहीं करना चाहिए था। यही कारण हुआ कि श्री अब्बास ने इन्दिराजी पर लिखी अपनी दूसरी पुस्तक की भूमिका में दवे शब्दो मे यह सफाई दी कि “आज तक मुझपर




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