चरनदास जी की बानी भाग 2 | Charandas Ji Ki Bani Bhag 2

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Charandas Ji Ki Bani Bhag 2  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डौर्डौचडौच्लीघडीक कै डर कि 3, डधडिडौचडौ5 आन, [ 3 25 डर ईध्डौडडौध्डौ८डौ5 ने | <ू कक न््& ग ह न्ल्स्य्रं 2; 6 कर कक & दी उच्च दर सौचडििडौध्ठो5डौडौ डद जेहिं घर अग्नि उलद कि आय छाजे लिराजे ॥ ३ 9 सुर जगसमणग करे खेल आगाथ है बेद हूं कहे नहिं पार पाले । जरुमखा जाइ है असर पद पाए हूँ सीस का ठोम तजि पंथ घाव ॥ ४ ॥ तीन सुन छेदि रनजीत चौथे बसे जन्स औ सरन फिर नाहिं होई्े । चरलदास कारें बास सुक्देव बकसीस सु पूज बेगम पुरी असर साइे ॥ ५ # शब्द ७ ॥ रंग सार 11 गरू लिन बह चर कौन दिखावे । जले जल साहों यह अचरज दुरसावे।९ जाति 1 4 (भुध्त ६5525: भरा, ९५55: काट छ््टु शुश्युन्दून्दुन्युल्युन्युन्युनदुन्यनयन्युन्यन्यन पपनपनयन्करनन कप गृम्यून्युस्यल्यन्यल्य्ल्यर थे रु चंद खो उस दिपें गंग उलटठी बहै द :क सुख्सना सैज पर लम्पँ दसके । हर न तासु के ऊपरे अभी का ताल है । है फलामिली जोत परकास चमके ॥ २४ दर है चारि जोजन परे सुन्य अस्थान है पा न तेज अति सूल्य परलोक राजे । 1 द दर पश्चिस से मेर हीं दन्ड हो हि पा दर कट्रकुरट ४” ( ट् स्यूल्यूक्यू कर 2 कक न न्यूड रन




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