श्री - सूत्रकृताङ्गसूत्रम् भाग - 3 | Shree Sutrakritang Sutram Bhag - 3

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Shree Sutrakritang Sutram Bhag - 3 by कन्हैयालाल जी महाराज - Kanhaiyalal Ji Maharaj

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कन्हैयालाल जी महाराज - Kanhaiyalal Ji Maharaj

Add Infomation AboutKanhaiyalal Ji Maharaj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
संमयाथवोधिनी टीका प्र शु. अ. ९ धर्मेस्वरूपनिरूपणम्‌ १९ कह लक न मम मनन न कस व न मध्ये एकादशविधा। था थे ओरतसा' औरणा।-स्वात्मजाः पुत्रा ते! एते पूर्व परिगणिवा+, तथाउन्ये5पि शवशरपित्रादयः “नाले! नारूं-न पर्याप्ता।-नेव भातु समर्था। । यदिह भवे5पि रागाद्वस्थायाम्‌ एते नाल त्राणाय सवन्ति तदा पर- लोके तु कदाषपि ते न स्थु। । काकसोकरिकस्प पुत्र; अभ्मग्कुपारस्य मित्रमासीतू, स॒ च अमयक्ुमारस्य सदृपदेशाह्‌ प्राणातिपातादिश्यो निइत्तो जाव), तदस्तस्य ताहश चेबष्टित दृष्ठरा बन्धुवान्धवा। दिपाकमकरणाय प्रेश्तिवन्तः । परन्तु भाणातिपातादिक घोरमनथे- हेतुक॑ ज्ञास्वा वन्धुवान्धरादिविचन न स्वीकृतवान्‌ किन्तु स्वक्रीयपादयों कुठारेण क्षतत कृध्वा वान्धवान्‌ घोधयितु तान प्रति उक्तवानू-भो। भोः | मम्र पीडाप्नपह- रत, ठदा ते एवं कथितवन्तः, अहो मूह ! स्वकृत कम स्वयमेत्र झुक्ब न बय तब दुःखमपहत्तु समथो! । होते। जब इसी लोक में रोग आदि, उत्पन्न होनेकी अवस्था में वे लेरी रक्षा नहीं कर सके तो परलोऊ में किस प्रकार त्राण कर सकते हैं? काल शौकरिक का पुत्र अभयकुमार का मित्र था । असय कुमार के सदुपदेश से वह हिंसा आदि से निशृत्त हो गधा। उसकी इस प्रकार की चेष्टा देखकर बन्धु बान्धचों ने उसे हिंसा करने की प्रेरणा की । परन्तु हिंसा आदि पापों को घोर अनथे छा कारण जान कर उसने अपने पांचों में कुरहाडे से घाव करके उनसे कह्ाा-अरे, सुझे पीड़ा हो रही है | मेरी पीड़ा दूर कर दो | तथ उसके चम्घुजन घोछे-अरे मह | तेरी पीड़ा हम केसे दूर कर सकते हैं। अपने किये कर्म का फल त्‌ः कम नई संनपेल्‍बी पल वन 5० कप +० के कक लय पक पणु सभथ थता नथी, बऋषारे नया लेमांप्ण रेण हत्पन्न थाय त्यारे पेशे वारी रक्षा री शह्ता नथी, ते। पछी परले।इभां डैवी रीते ते रक्षणु ४शी श्र ९ धरक्षशो४रिडने। के सलयपुभारने। खेद मित्र छते। जसयपुभारता सहुपहेशथी पेशे 5९1 3२१ थु' ये भ्थु सावा प्रज्गजरती तेनी 2५८॥ ब्वे्ध ने तेना भाधु व विशेरेशे तेने डिसा 3रवा प्ररछु। 3री, पर तु डि'सा (िणेरे पपेने बार सनधंच आरणु समणने पेश पे।ताना पणभा $७।डी थी घ। 3रीने तेखे।ने 3७ $-भरे भने ते। पी॥ थाय छे, भारी पीड़ा भटाड! जा अभाशु सांभषणीने तेना जा धु सभूछे 38' भरे भूणः तर पी% लमते। शी रीते भठणाईे शप्रीणे ? ते ध्रशेक्षा डमेव' इण ते फेते ० ला




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now