विज्ञान हस्तामलक | Vigyan Hastamalak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
129.13 MB
कुल पष्ठ :
471
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहला अध्याय विश्व-दर्शन १-हमारी जानकारी संसार-भर में सब से सुंदर सब से श्रद्धत श्रौर सब से बड़ा तमाशा हमारी आ्रांखों के सामने होता रहता है पर नित्य की बात होने से हम उस पर ध्यान कम देते हैं। उषा काल की -ब्पूवं शोभा सूय्य का तड़के उदय होना उस की मनोमोहक किरणों का _ दशों दिशाश्रों में छिटिकिना उस का तेजोमय रूप तरखणि की तरुणाई फिर दिन का _ढलना सूय्य का श्रस्त होना सायंकाल की विचित्र छवि फिर चांद श्र तारों से सजी सजायी रात का श्राना श्र अपनी छटा दिखाना--यह सब नित्य का तमाशा है जो प्रकृति . में हमारे सामनें होता रहता है | तारों से जड़े हुए श्राकाश का परदा तो बराबर बदलता रहता है | घटाश्रों का छा जाना बिजली का कॉदना बादल की गरज इन्द्रधनुष की छवि . उत्तरी दक्षिणी विद्युन्माला की द्राभाएं वर्षा करा श्रादि नये-नये दृश्य बदलते रहते हैं । . उस की तमाशा नित्य नये ढंग पर परंतु बड़े नियम श्रौर नाप से होता रहता है | मनुष्य यह तमाशा अ्रनादि काल से देखता. झ्राया है । उस ने काल का श्नुमान और हिसाब इन्हीं परदों में होनेवाले फेर-फार से किया है । इसी लिये यह कोई अचरज . की बात नहीं है कि उस ने इन तारो औऔर चंद्रमा श्रौर सूय्य के बारे में भांति भांति की _ कल्पनाएं कीं हैं और तरह तरह के विचार पक्के किये हैं । अधिक विचार श्र विवेक _ बालों ने इन को समभकने के लिये बारीक से बारीक हिसाब लगाये हैं । इन की जांच के लिये विविध यंत्र बनाये हैं । भारत में तो अत्यंत प्राचीनकाल से और भारत के बाहर के देशों _ में भी बहुत काल से इस विषय की खोज होती आयी है | हिसाब करने के लियें भारत में . अनेक मानमंदिर यंत्रमंदिर श्र वेघशालाएं बनीं । युरोप श्र . ्रमेरिका में भी बड़े बड़े विशालकाय दूरबीन दूरदशक यंत्र लगाये गये श्रौर इधर तो कई सी बरसों से पच्छांह के देशों ने बड़ी उन्नति की आर ज्योतिष विधा की खोजों में उस भारत
User Reviews
No Reviews | Add Yours...