भारतीय दर्शन परिचय खंड 2 | Bhartiya Darshan Parichy Khand 2

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दो ऐश प्रोफेसर हरिमोहन मा हिन्दी, मेथित्ी, संस्कृत भर धर ्रेज़ी में ह५- योगी प्रत्थ तथा निषन्ध तिसकर विह्वर प्राल में प्रस्यात हैं। ऐसे मुप्रसिद्ध लेखक के प्रत्थ के लिये परिचय-पत्र का प्रयोजन ही नहीं है । हिन्दी पाठकों से सम्पूरंतः भ्रपरिचित मुझ, जैसे व्यक्ति का उनको परिचित कराने का प्रयास भ्रनधिकार चेष्टा-सा है | स्वयमसिद्ध/कर्थ परार साधयति ! फिर भी भपने प्रिय धात्न के भरतुरोध-वश मुझे यह काम करता पढ़ा । शिष्य श्रधिक विद्वान्‌ भोर यशस्वरी होने से ही गुद को भ्रधिक गौरव है। हरिमोहनजी पाश्चात्य दशेन शास्त्र की उश्वतम परीक्षा में उश्तम स्थान प्राप्त करके ही संतुष्ट नहीं हुए । भ्रभ्यापन का भार उठाते हुए भी ये अपने पुणय-रत्ञोक मेथिल पूर्वजों का हृष्टास्त श्रनुसरण करके नियत अ्रध्ययन भरौर हानव्धन फे लिये संचेष्ट है भरौर श्रपने विद्यागौरव से गुरुझों को भी गोरव श्रौर भार प्रदान कर रहे हैं। ऐसा आादश भराजकत बहुत विरत है। कृतविद्य व्यक्ति के त़िये विद्याप्रचार सबसे बड़ा कर्तव्य है। लेकित आजशल ऐसे विद्वान भ्रंग्रेजी में लिखना ही श्रधिक पसंद करते हैं। इसलिये माठ्भाषा की उन्नति कम हो रही है। भ्रपिकतर लेखक भ्रधिकारी, भर शिक्षित और अपरिपक् बुद्धि होने के कारण ठोस साहित्य का निर्माण नहीं कर पाते कंधा-कहानी भोर हलके निंधों की तो अनावश्यक बाहन्सी भा गई है। किन्तु ज्ञानवधेक, उद्ात्त और गंभीर साहित्य का क्षेत्र अभी भपि- कांश में रितपआय ही है। क्‍ इस स्थिति से हिन्दी साहित्य का उद्धार करने का पवित्र ब्रत जो प्रृत विद्वान श्रपने जीवन के प्रत-स्वरूप प्रहण किये हुए हैं, उन अति अत्पसंस्यक् पंहितों में हरिमोहन जी एक उफ्ज़्व्ञ रल हैं।माठत्भाषा में भारतीय दशन का प्रचार कम है। भंग्रेजीवासे अंग्रेजी में ही लिखते है, भोर संझृतह प्राचीन मार्गवितस्वी पंडित संस्कृत में | अंग्रेजी में सीसी हुई बात प्रायः हमारे मन के उपरो स्तर में ही रह जाती है, ममस्थत्ञ को स्पश नहीं कर पाती है, इसलिये भात्म-विकास में उतनी सहायक नहीं हो सकती है। भात्म यम आल कल कि $ आचाय ढा० पीरेद दत्त द्वारा प्राप्त भाशीर्वादस्वरूप ये 'दो शब्द! भारतीय दर्शन के द्वितीय लंड ( वैशेषिक ) की रचना के उमय प्राप्त हुए मे । देख धपने पूष्य गुर्मर के इन इृपापूरएं प्रोत्साहन-बाक्यों के लिए हृदय से भाभारी है।




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