कर्पूरमन्जरी | Karpoormanjari
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
182
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रथम जबनिकान्तरम् _
सूत्रधार:--ता केण समादिद्दा प॑जध १ ( तत् केस समा-
दिष्टा: प्रयुद्ध्यम् ९ ) रा
पारियाश्िक:---
“ चाउद्ाणकुलमौलिआलिआ रशअसेहरकंदगेहिणी |
भत्तुणो किदिमबंतिसुंदरो सा परउंजइहुमेदमिच्छदि ॥११॥
( चाहुबानकुलमीलिमालिका राजशेखरकवीन्द्रगेहिनी ।|
भर्तु: कृतिमवन्तिसुन्दरी सा प्रयोजयित॒ुमेतदिच्छति ॥११॥ )
किंच---
चंदपालथ रणीहरिएंकों चक्कवद्दिपश्र॒लाहशिमित्त |
एत्य सइ अबरे रससोत्ते कुंतलाहिवसुद परिणेदि ॥११॥
( चन्द्रपालवरणीहरिणाइूुख्क्रवत्तिपदलामनिमित्तम् |
अन्न सट्टकतरे रसस्नोतसि कुन्तलाधिपसुतां परिणयति ॥१२॥ )
केवर्ल भूतलमे प्रकाशयति, राजशेखरश्य तु चरित॑ कलद्टरहितं ब्रिभ्वुवनप्रकाशक
चेति। चन्द्रादुपमानाद्राजशेखरस्थोपमेयस्याधिक्यं वर्णितम् ,तेनात्र व्यतिरेक्रालद्वारः ।
व्याख्या--चाहुचानकुछत्य विख्यातक्षत्रियवंशस्य सौलिमसालिका शिरो-
माल्यभूता कुछालद्भारभूता, राजशेखरकवीन््रस्य गेहिनी भार्या या अबन्तिसुन्दरी
नाम सा स्वभतुः राजशेखरध्य क्ृतिम एतत. कर्प्रमश्लरीनामसहक नाट्येन प्रदर्श-
यितुर्मिच्छति । कर्वेरेव भार्या एतस्य ग्रयोजिक्रेति भावः ॥ ११ ॥
व्याब्या--चन्द्रयाल एच बरिणीदरिणाइः भूचन्द्रः चक्रवर्तिपदस्य लाभाय
उज्ज्वल द्वो रहा है। चन्द्रमा तो केवछ एक भूत को ही प्रकाशित करता हैं,
ये तो तीनों छोकों में असिद्ध हैं ।
सुत्र०--किसकी आज्ञापामर तुमछोंग (इसका) प्रयोग (अभिनय) कर रहे हो ।
के चौहान कुंछ में उत्पन्न हुई, राजशेखर कवीन््द्र की पत्नी अवन्ति सुन्द्री अपने
पति की इस रचना का अभिनय कराना चाहती है ॥ ११ ॥
और भी--एथित्री का चन्द्रमा राजा चन्द्रपाक चक्रवर्तीपद की प्रापिके लिये
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