नल दमयन्ती | Nal Damyanti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५ पहला परिच्छेद
ब्स्स्दुसूस्स्ा
बड्टे आदरके साथ अलग-अलग स्थानोमें ठदराया। देश-
देशके भिन्र-भिन्न रूप-रड् वाले सनुष्यो'के आगमनसे कुस्छिन-
पुरभें खासो चचह्ल-पहल हो गयो। जगह-जगह खेल-तमाणे
और नाच गानका रद जम गया । भिम्र-भिन्न राजाओके रंग
बिरंगे डरे-खोमे गड गये--उन पर रंग-विरंगी “ पवाकाएँ
फरराने लगीं। कुसिडिनपुरके भुण्ड-के-क्ुण्ड लोग आकर
उन छेरे-तम्वुश्रोंकी देखने लगे। सबको अपेचा निषध देश-
के प्री राजाका सन्दर डेरा लोगो'को बहुत हो पसन्द आया ।
उस डेरेके भोतर फाँक कर लोगो'ने जब राजकुमार 'नंलको
देखा, तब तो उनको सुन्दरताने सबको आंँखो'में चकार्चीधसो
लगा दो। सब लोग उस कामदेवके समान सुन्दर रुपवाले
नलको देखकर कहने लगे,--“बस यही राजकुमार दमयन्तीके
योग्य वर है। भक्ष्छा हो, यदि राजा भीसरथ, सबको छोड
कर इसोके साथ दमयन्तोका विवाह कर दें।
1! नियत समय पर सब लोग खय॑वर-सण्डपमें आरा विराजे |
सभी राजा-राजकुमार् बडे ठा८-बाट्से भडकोली पोशाके पहने
चेढे 'इए थे। कोसल-नरेश भी अपने दोनो' घुत्रो'के साथ
सणि-रल्न-जटित सिह्दासन पर बेठे हुए नचत्रो'के बोच शोभित
फोनेवाले चन्द्रमाकी भाँति शोभा पा रहे थे। सबके बोचमें
गजकुसार नल सहस्वरश्मि सके समान सबकी च्योतिको
मन्द करते हुए विराजसान थे || उनका तेज देखकर - सबकी
आँखें किप जाती थीं । न मालूम क्यों, सबके दिलमें रह-रह
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