छंद सारावली | Chhand Saravali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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जन अनियओनण अंलाला अनन--+++ 5)
सात्रिक छंद विषयक सूचना ।
प्रिय पाठकों | इस ग्रथ में मात्रिफ छ्ों फे छूच्ण
सन्नवत् एक एफही चरण में दिये है ये सव लक्षण, नाम सहित
रवये उदाहरण स्यरूप है | चार चरण में एक छद पूणे होता
है। मातिक छठ रचते समय इस बात का ध्यान रखना
चाहिये फि चारों चरणों की मात्रिक संख्या एक समान हो
परन्तु उन चरणों का वर्णक्रम एक समान न हो फ्ेसी एक
वा अधिक चरणों के वणेक्रम में अतर अवश्य होना चाहिये
अभिप्राय यह है कि प्रथम चरण में जैसा वरणेक्रम पड जाते
यसा शेप तीन चरणों में न रहे यहां तफ क्रि यदि तीन
चरणों तर की मात्रिक सरब्या और बणेक्रम एफ से हों औ
केसी एक चरण के ही प्रणेकम में अंतर पड जाव तो भी वह
मात्रिक छठ ही पाना जायगा। जहा चारों चरणों की मात्रिक
सेख्या ओर पणेक्रम एक से हों यह पर्णिक बृत्त हो जायगा |
इसके शानाये सृत्र॒वत् इस पाक्ति का स्मरण रखिये---
गज आज न “४:४७
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“अक्रमसत्ता, सक्रमइत्ता |
यदि मात्रिफ ऊँद रचते समय कोई छद ऐसा वन जाये
कि जिसके चारो चरणों की मात्रिऊ सख्या समान हो और
बशोक्रम भी एक समान हो तो उसे मात्रिफ छठ न मानकर
वर्णिक इ मानो ओर यदि वर्णिक बूत्तों में उसका कोई
पिशेष नाम न हो तो मात्रिफ छंद में नो उसका नाम है उसी
नाम का वर्णिक्ञ इत्त मानो, जैसे तोमर पर्णिक, रोछा वर्णिक,
सार वशिक इत्यादि | नीचे दो उदाहरण दिये जाते ह--
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७७-००२७०:६०५००९०:०८७५७८ ६४६४८-६५८*६६४: वि श्च्डः
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