समसामयिक हिन्दी - साहित्य उपलब्धियाँ | Samasamayik Hindi Sahity Upalabdhiyan

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Samasamayik Hindi Sahity Upalabdhiyan by मन्मथनाथ गुप्त - Manmathnath Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डॉ० विजयेद्र स्नातक १ जयमारत राष्ट्रकवि के साहित्यिक विकास का प्रतीक कृष्ण दृपायन व्यास विरचित महाभारत वे घटना-सबुल एतिहासिक एवं पौराणिक विराट आस्यान की सुपरिचित पृष्ठश्षमि पर जयभारत काय की रचना हुई है। महाभारत क विशाल वथानक का इस रीति-मीति स काट-छांट कर सच- धन किया गया है कि मूल क्या का आवश्यक भाग ही रशित रहा है प्रनावश्यक विस्तार (या श्रवातर क्षेपक अ थ) छूटता गया है। क्या क त्याग भरौर ग्रहण मं कवि न प्रमुख घरिता का प्रशुण्ण रखते हुए उन महत्त्वपूण घटनाश्रा वा ही चयन बिया है जिनव॑ प्राधार पर कौ रवा पराइवो से सम्बद्धमहाभारत-क्या ग्राज तक ग्रथा में ही नहीं-- अनुश्रुतिया म॑ भी जीवित है। झुछ प्रसग मर इस क्यन के श्रपवाद हो सकते हैं, कितु उनकी स्थिति महाकाब्य के विशाल क लवर म भ्रसह्य नही है। महामारत क विराट प्राख्यान म सकडा पौराणिक उपास्यान बतलोटल वी भाँति समप्रधित हैं, उनका विच्छेट भोर चयन सचमुच दुप्वर है । फिर भी बहता न होगा कि वस्तु-मम के पारसी गुप्तजी न उन सभी प्रमगा का चुनन मे झपनी प्रतिभा वा परिचय दिया है जो प्रवघवाब्य म प्राण प्रतिष्ठा करते हैं। क्या प्रसय को सतत ग्तिषील रसत हुए जहाँ कही कवि न सक्षेप किया है वहाँ प्रसग की भ्रीवति का ध्यान रसा हैं विलु इस सतक्ता ने बावजू” भी कुछ स्यला पर प्रवाह म व्याघात झा गया है। यह व्यापात पौराणित भतक याग्ा के कारण झाया है। कथा वा प्रध्पाहार ग्रक उसकी भरविति बिठान व लिए पाठक का यति तततिक भी रक्‍ना पड़े तो पह भटका उसकी रगानुमूत्ति मं वापक हागा ही । “जयभारत' म नट्ूूप से प्रारम्भ व्रत पराड़वा के स्वर्गारोहण तय समस्त बचानन सतालीम सर्गों (प्रवरणा ) म विभक्त है । प्रध्यक पर करण का शीपव सम्बद्ध




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