कैसे - कैसे सच | Kaise - Kaise Sach
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
82
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मैं तो अवाकू रह गया। कहां की लड़को है, कौन है--इसका कुछ
ठिकाना नहीं । कभी अपनी जिन्दगी में उच्े देखा तक नहीं॥ और उसके
ऊपर मह भाघी रात !
और फिर लड़की के साथ भला कोई क्यों नही है? इस उम्र की
'लडकी अकेली आखिर अपने घर से क्यों निकली है ?
मैंने कहा--मैं तो आपको ठीक पहचान मही पाया ।
लड़की घोली--पहचानती तो मैं भी नही आपको | निहायत मुसीबत
में पड़ गई हूं, इसी लिए आपसे मदद मांग रही हू। *
मेंने कहा--कहिए, क्या करना होगा ?
लड़की बोली--मुझे क्या आप मेरे घर तक पहुंचा देंगे ? सामने मैदान
के पास गुण्डो का डर है। रात के वक्त उस तरफ से जाने में मुझे खूब डर
लग रहा है ।
मैंने पुछा--आपका धर कहां है ?
लडकी मे कहा--वेधपाड़ा में ।
नाम सुतकर मैं जगह पहचान नही पाया। मैंने पृष्ठा--वद्यपाडा कहा
हैः ,
लड़की वोली--वह जो वडा मैदान है, उसे पार करने पर जो नई
कॉलोनी वनी है--उत्ती का नाम वैद्यपाढा है ।
मैंने सुना था कि देश-विभाजन के बाद वहा बहुत-से नये लोगो ने
आकर अपना धर बनाया था। लेकिन मैं उस तरफ पहले कभी भी गया
नहीं था। बाजार मे मुझसे भेंट होने पर बहुत-से नये लोगो ने बताया दा
कि वे वेद्यपाड़ा में रहते हैं ।
!. मैंने पृछठा--आप इतनी रात में घर से क्यो निकली थी ? ५
लड़की ने कहा--इधर सिनेमा देखने के लिए आई थी, साई हा
मेल्त
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