आचारांगसूत्रम भाग - 1 | Acharang Sutra Bhag - 1

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Acharang Sutra Bhag - 1 by कन्हैयालाल जी महाराज - Kanhaiyalal Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्८ श्री चीतरागाघ नमः । श्री श्री श्री १००८ जैनधर्मदिवाकर जेनागमरत्नाकर अरीमज्जै- नाचार्थ श्री पूज्य घासीलालजी महाराज चरणवन्दन स्वीकार हो । अपरश्व समाचार यह है कि आपके भेजे हुए ९ शास्त्र मास्टर शोभालालजी के द्वारा प्राप्त हुए, एत्तद्र्थ धन्यवाद | आपभ्रीजीने तो ऐसा काय किया है जो कि हजारों वर्षों से किसी भी स्थानकवासी जैनाचार्यने नहीं किया । आपने स्थानकवासीजेनसमाज के ऊपर जो उपकार किया है वह कदापि झुलाया नहीं जा सकता और नहीं झुलाथा जा सकेगा । हम तीनों छुनि मगवान सहावीर से अथवा शासनदेव से प्राथना फरते हैं कि आपकी इस वज्भमधों लेखनीको उत्तरोत्तर शाक्तिप्रदान करें ता कि आप जेनसमाज से ऊपर और भी उपकार करते रहें, और आप चिरज्रीवी हों। हम हैं आपके छुनि तीन सनि सत्येन्द्रदेव, सुनि लखपतराय, झुनि पद्मसेन, झः




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