चैतन्यचन्द्रोदय भाग - 1 | Chetany Chandroday Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand), वैराग्यिप्रकरण-1- न]
अरु वशिए आदिक सभा बैठी , तंदां,बिशेषि 1
जाय रघबंशमाणि; बशिछज्ञी के,संगर।
कथा वबारता नेम सो, करहि नित्य वह रग-ता
सो० तहँ यह दिवस नरेश कहत भयों हे रामजी !। / , ..
॥ ' तुम वनाय सब. भेश हित शिफार -जेया करहछु ॥
1 । »तिदहे अवसरे सम ज़ान रामचन्द्र की अवस्था ... *
'पोड़श बंप, प्रमान सहँ कमती थोरहिः रही: ॥ :,
वो०1रहेलपनरिपदनसवसाथा। कतहूँ भरत,नहान गया धागा
तिनहूँ [संगः चूची इतिदाँसा। कराहिलुनाहिलचसहितहुलासा।
सर्ध्या स्नानादिऊतिहि लेगा । नित्य कर्म करिके वह रंगा ॥
पुनिउठिसबमिलिभोजनखाहीं ॥ तव अह्देर खेलन-को जाहीं ॥
तहेँ देखांह जो, पशु दुखढाई। ताको सबमिलि मारहि वा:
अवर/लोग कहें करत अनन्दा । चले जात खेलत रधनन्दा,॥
रात्रिसमय बाजनेहिवजावत । सद्दितनिशान वासनिजअंवत ॥
भस करतहि कोतिक़ दिनबीते। तवहिं राम बाहिरतेःरशीते .॥
' निञ्ञ।झंत.पुर में सो गयऊ। शोकसहित इस्विततहँभयऊ ॥
राजकुंवर फी 'चेए्टा ,जेती,!। रही त्यागि दीन्ही तिन तेती ॥
झरू एकान्त साहेँ-पुनि' जाई १ चिन्ता घुत्तः चेठे /शिरनाई ॥
जेते कछु रस सहित ,भनेका ॥ इन्द्री क्रेर.विपय अख्िबेफा ॥|
त्यागि दियो। त्तन ते यहिभांतीः। दर्बल भंये ।धरी सख' कांती व
पीत बण हैः गयहु- शरीरा 1 जसे होत कमल विन नीरा ॥
होति शृकः के पीत अबीरा। तेसे, होड़ गई।मुख पीरा॥
तापर म्धुकर, बैठत आइडे' । तिमिसूखे सुख नयन'/लेखाई ॥
दा ० | होनलगी छविसोसई इच्छा निछुत करालर्ग ! ०।
जेसे निर्मल 'होतहे शरब्फाल मेँ ताल ॥
! तेसे इच्छा रूप यह मल ते रद्दित-उठोत ए
#चित्त रूप सब भांतिते तालहु निर्मलहोत ॥
' सो०।भअरुह्ैज्ञात शररि दिनदिनये निर्मल झविक | ! ०)
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