अमरीका भ्रमण भाग 1 | Amerika Brahman Bhag 1

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Book Image : अमरीका भ्रमण भाग 1  - Amerika Brahman Bhag 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१७ ) परमात्मा ने हमें पेसा छुन्दर देश दिया है, जहाँ र्तर, ५४०५ परशिखम सथ कहाँ प्राकृतिक णएटार्थों को यहुतता है 1 सोतदों, सदियों भौर खामों की फरमी नहा यदि कमी है तो उद्योग की । कदि से ठीर कहा है-- डयमेंग हि सिध्यक्ति कार्य्योस्ति भर प्रगोस्गैः। म हि सुप्तस्प छिंहत्य म्रविशरित मुसे श्गाः है हमारे देश में कहीं भी पानी की कमी नहीं हो सफवी शाजपूतामा भी घर्पाऋतु फे जल को रोड छोने से यस्छे बम्ले घान्तायौ से विभूषिव धो सकता है जिनक द्वाय लानों एकड़ भज्े में साँचे जा सफते हैं| धमारे देश में जगह अगह् नज्तो द्वारा पामी लाया जा सकता है; प्षेतो से पानी क्षाकर शहर वाक्षों की दक्षि की जा सकती है। सब शषोग झामम्द भौर सुस से रद सकते हैं। पर उचयोग कौन फरे ? शुद्या मे वर्श मक्तिया मारमे का | बनाये हैं शुशर शवों कस फैसे ॥ खबमुच ही रचोग पड़ी चीज़ है। भमेरीका में अगला को साफ़ फरके घर दसाये गये हैं। बड़े यड़े गांध भऔौर कसके भावाद दो रहे हैं । कहीं पार्यों के कुरड खेतों में चर रहे हैं। कहीं पैलों के | कहाँ शूकरों फी मणडकियां घृप का झामस्द ले रही हैं झोर शो सामने झाया है उसी को चट कर जाती हैं। इकेसे दुफेती किसानों के घरमीक्षों फे घेरे में दृष्टि पड़ते हैं । मूष्त ्षमी हुई थी। छवद कुछ जाया सहीं था और बारद पथमे पर थे । रेश की घड़क फे पास ही घोड़े गाड़ी की सड़क सी झारस्स दो गई थी, प्रयोछि मैं झष पर्षधों से तिकल्न झाया था । रेज की सड़क छोड फर मैंने दूसरी सड़क




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