कालिका पुराण | Kalika Puran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
475
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[४]
मत्स्य अबतार के सम्बन्ध से कहा गया हैं कि प्रथ्वी पर जब
प्रलय होगे का शाप मसह्मनि कविल ने स्वायम्शुत्न को दियाथा।
अमये टीनो लोक की रक्त करते के लिये उन्होंने भगवान् विष्ण की
आराघना की | उससे सतप्ठ द्वोकर भगवादु ने सत्म्य रूए धारण करके
पृथ्वी की रक्षा का चचत लिया और एक बडी नाव बनाकर समस्त
भौतिक पदार्थों के छीजो को उससे रहित रखने की विधि बनाई ।
उन्होंने कटॉ--
* है मनदैव ! जब लक जब का प्लावन रहे तद तक सरख्ित
रहने के उद्देदय से ्राप एक ऐसी खड़ी नौका बताटये जो दहायोजन
किस्तार वाली और सीस योजन चौटी होवे । बह नौ योजन ऊँवी हो ।
जल ए्तावस के समय उस नौका मे सव्॒ बीजों को, सभस्त येडो और
सात ऋषियों को प्रियाकर स्वयं भी विराजमसात हो जायें। जल
प्जातन होने पर मैं झापके पारा आऊँगा और उस नाव को अपने सींग
में बाँधकर हिमानय के सभीएण ले जाऊँगा। जल के सूखने पर आप
उमी स्थान पर उतरकर फिर जीव सृप्टि को रचना का उपाय करिये 17
“जल प्रलयथ” की णठ्ठ कथा वही अदभुत है, वयोकि यह
भारतीय प्राणी मे ही नहीं, ईसाइग्रो की घाइविल और खन््य अनेक
जातियो के प्राचीन साहित्य में भी इसी से मिलवे-जुलते रूप से मिलती
है । उन सोगों का इसकी सघाई पर परा विश्वास है, और बुद्ध वर्ष
पड़ेले हमने एक अद्भरेजी मासिक पत्र मे एक उेछ पढ़ा था कि कावेशस
(रूम) के एक हिमाच्यादित पर्बन शिखर पर यह नाव मिल भी ग्रे
है। कुछ भी हो इससे इसना विदित होता है छि मत्म्य अवतार की
कथा प्राचीन काम मे ही दुरन््हूर तक फ़ुन गई थी। साथ ही कूद
ऐतिहासिक प्रमाणो तथा दैज्ञानिक खोज द्वएरा कई लेखकों ने यह भी
अनुमान लगाया है कि कृछे हजार दर्ष पहनते पृथ्वी पर सचमुच ऐसा जल
प्लावन हुआ था जिसमे एक बडा भरापूरा देश नप्ट हो गया था| इसी
को योरोप वाते “नूर को प्रल्थ” कहने हैं। इन कई मजहवो के धर्म
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