हिन्दू धर्म | Hindu Dharma
श्रेणी : धार्मिक / Religious, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17.43 MB
कुल पष्ठ :
133
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पंडित द्वारकानाथ तिवारी - Pandit Dwarkanath Tiwari
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हिन्दू घर्म की सावंभीमिकता
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शुद्र भार को बदन करने में सहायता दे । ” वेदिक ऋषियों ने यह्दी .
गाया है । इम उसकी पूजा किस प्रकार करें ? प्रेम द्वारा ही उसका
'यूजा की जा सकती दे । ” उस परम प्रेमास्पद की पूजा उसे ऐदिक
“तथा पार्रत्रिक समस्त प्रिय बस्तुओं से भी अधिक प्रिय जानकर
करन। चाहए )
बेद हमें झुद्ध प्रेम के सम्बन्ध में इसी प्रकार की शिक्षा देते
हैं | अब यह देखा जाय कि भगवान् श्रीकृष्ण ने, जिन्हें हिन्दू ठोग
'युथ्वी पर ईर्वर का प्रणीवतार मानते हैं, इस प्रेम के पुर्ण विकास
की साधना के सम्बन्ध में हमें क्या उपदेश दिया है ।
उन्होंने कहा है कि मनुष्य को इस संसार में प्मपत्र की
“तरह रहना चाहिये । पद्नपत्र जैसे पानी में रदकर भी उससे भीगता
नहीं, उसी प्रकार मनुष्य को भी संसार में रहना चाहिये-उसका
लय ईस्वर की ओर लगा रहे और उसके दाथ निर्कित भाव से करे
“करने में लगे रहें ।
है
इद्दलोक या परछेक में पुरस्कार की प्रत्याशा से इर्वर से
गेम करना बुरी बात नहीं, पर केवल प्रेम के लिये ही ईर्वर से
ग्रे करना सब से अच्छा हे। और उसके निकट यही प्रायना करना
उचित हे हे भगवनु, मुझे तो न सम्पत्ति चाहिये, न संतति, न
'बि्या । यदि तेरे इग्छा है, तो सइसख्रों विपत्तियों को सहन करूँगा ।
'पर दे प्रभो, केवल इतनां ही दो कि में फल की आशा छोड़कर
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