ऋग्वेद भाग - 3 | Rigved Bhag - 3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
54 MB
कुल पष्ठ :
696
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जन्म:-
20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)
मृत्यु :-
2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत
अन्य नाम :-
श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी
आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |
गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
पत्नी :- भगवती देवी शर्मा
श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)घ० ८। झ5 ४ | सृ० २६ ] १९१७१
२६ छक्त
(ऋषि-विश्वमना वेयश्बों व्यश्वो वाज्लिरसः । देवता-अखिनौ, वायु: ।
छुन्द-उप्णिक, गायत्री, अनुष्टप् )
युवोरु षू रथं हुवे सघस्तुत्याय सूरिषु ।
श्रतृतंदक्षा वृषणा वृषण्वस् ॥१
युवं वरो सुषाम्णों महे तने नासत्या।
श्रवोभिययाथों वृषणा वृषण्वस् ॥२
ता वामद्य हवामहे हव्येभिवाजिनीवस ।
पूर्वीरिष इषयन्तावति क्षपः ।३
आरा वां वाहिष्ठो अश्विना रथो यातु श्र्तो नरा ।
उप स्तोमान्तुरस्य दर्शथ: श्रियरे ॥४
जुहुराणा चिदरश्विनां मन्येथां वृषण्वसू ।
युवं हि रुद्रा पषथों अति द्विष: ॥५ ॥२६
हे अश्विनीकुमारों | तुम दोनों धनवान, बलवान और वर्षणशील हो |
तुम्हारे बल को नष्ट करने में कोई समर्थ नहीं हैं। में तुम्हारे रथ को स्तुति
करने वालों के सध्य में आहूत करता हूँ ॥ ३ ॥ हे अश्विनीकुमारो | तुम कास-
नाओं के देते वाले, धनशाली एवं सत्य रूप हो | तुम जेसे राजा सुषासा को
धन प्रदान करने के लिए श्राते थे, बसे ही तुम अपने रक्षा साथनों सहित
श्रागसन करो । है वरु तुम ऐसी याचना करो ॥३॥ द्वे अन्न धन-सम्पक्र
अश्विनीकुमारो ! प्रातःकाल होने पर हम तुम को हवि से झ् हूत क रंगे । ३ । हे
अखश्विनीकुमारों | सब से अधिक वाहक तुम्हारा रथ यहाँ आावे । तुम स्तोता
को अपना धन देने के लिए उसके स्वोन्नों को जानो ॥४॥ हे झश्विद्दय ! तुस
क्रामनाओं के देने वाले हो। तुम रुद्र हो। कुटिल कांये करने वाले शज्र भी
को अपने तामने खड़ा समझो ओर वेरियों, को व्यॉाथत बेरो ॥३॥
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