ऋग्वेद भाग - 3 | Rigved Bhag - 3

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Rigved Khand 3 by श्रीराम शर्मा आचार्य - Shreeram Sharma Acharya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

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जन्म:-

20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)

मृत्यु :-

2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत

अन्य नाम :-

श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी

आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |

गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत

पत्नी :- भगवती देवी शर्मा

श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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घ० ८। झ5 ४ | सृ० २६ ] १९१७१ २६ छक्त (ऋषि-विश्वमना वेयश्बों व्यश्वो वाज्लिरसः । देवता-अखिनौ, वायु: । छुन्द-उप्णिक, गायत्री, अनुष्टप्‌ ) युवोरु षू रथं हुवे सघस्तुत्याय सूरिषु । श्रतृतंदक्षा वृषणा वृषण्वस्‌ ॥१ युवं वरो सुषाम्णों महे तने नासत्या। श्रवोभिययाथों वृषणा वृषण्वस्‌ ॥२ ता वामद्य हवामहे हव्येभिवाजिनीवस । पूर्वीरिष इषयन्तावति क्षपः ।३ आरा वां वाहिष्ठो अश्विना रथो यातु श्र्‌तो नरा । उप स्तोमान्तुरस्य दर्शथ: श्रियरे ॥४ जुहुराणा चिदरश्विनां मन्येथां वृषण्वसू । युवं हि रुद्रा पषथों अति द्विष: ॥५ ॥२६ हे अश्विनीकुमारों | तुम दोनों धनवान, बलवान और वर्षणशील हो | तुम्हारे बल को नष्ट करने में कोई समर्थ नहीं हैं। में तुम्हारे रथ को स्तुति करने वालों के सध्य में आहूत करता हूँ ॥ ३ ॥ हे अश्विनीकुमारो | तुम कास- नाओं के देते वाले, धनशाली एवं सत्य रूप हो | तुम जेसे राजा सुषासा को धन प्रदान करने के लिए श्राते थे, बसे ही तुम अपने रक्षा साथनों सहित श्रागसन करो । है वरु तुम ऐसी याचना करो ॥३॥ द्वे अन्न धन-सम्पक्र अश्विनीकुमारो ! प्रातःकाल होने पर हम तुम को हवि से झ् हूत क रंगे । ३ । हे अखश्विनीकुमारों | सब से अधिक वाहक तुम्हारा रथ यहाँ आावे । तुम स्तोता को अपना धन देने के लिए उसके स्वोन्नों को जानो ॥४॥ हे झश्विद्दय ! तुस क्रामनाओं के देने वाले हो। तुम रुद्र हो। कुटिल कांये करने वाले शज्र भी को अपने तामने खड़ा समझो ओर वेरियों, को व्यॉाथत बेरो ॥३॥




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