हम इक उम्र से वाकिफ़ हैं | Hum Ik Umar Se Wakif Hai

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Hum Ik Umar Se Wakif Hai  by हरिशंकर परसाई - Harishankar Parsai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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समझेगे नही, उसे समझाएँगे नही । समस्या कूल यह है कि वह या तो बोल रहा है या रे रहा है । कूल सवाल उसे चुप कराके उससे बरी हो जामे का है । एक-दो तमाचे जड देने से यह काम हो जाता है । रोते हुए बच्चे को धमकाते हें अरे चुप हो 'चोप्प ! ' और चांटा जड दिया । चाँटा तो रुलाने के लिए होता है, रोना रोकने के लिए नहीं । मगर वह बच्चा चुप तो डर के कारण हो जाता हे, पर रोता और ज्यादा है। वह बुरी तरह सिसकता है। मां-बाप को सिसकने पर कोई एतराज नही । रोते बच्चे का 'मूड' (मन स्थिति) बदलना चाहिए । उसवी दिलचस्पी के विषय बी तरफ उसका सन सोड देना चाहिए। मेरे भागजे का लडवा है सोनू । क्रिकेट वा शौकीन है, चित्रकला का भी । निजी मकान वी अपेक्षा क्गाए के मकान मे बागीचा ज्यादा अच्छा लगता है। बच्चा फूलो का शौवीन है । मेरी मेज पर फूल लाकर रस देता है और तारीफ का इतजार करता है | टेलीविजन पर क्रिकेट देखता रहता है । उसके प्रिय खिलाडी हैं । जब वह गेता है, तो मैं कहता हूँ. अरे सोनू गुरु, इस मैच मे तो भारत हार ही जाएंगा। रवि शास्त्री तेईस पर आऊट हो गया ।' वह फौरन रोना बद करके कहता है: 'क्या बात करते हो मामा जी । अभी तो अजहर को सेलना है । चौवे पर चौवे मारता हे, अजहर ! !-वह सुनील गावस्कर, चेतन शर्मा वगैरह की बात करता है । सुश हो जाता है । कभी मैं कह देता हूँ. 'तुम्हारा बागीचा सूख गया, सोन्‌ ! आज तो टेबिल पर फूल ही नही हैं ।' वह रोना बद करके कहता है 'अरे, मेरा बागीचा कभी नही सूख सकता । क्या बात करते हो । अभी फूल लाता हूँ । ' वह उत्माह से फूल लाता है और टेबिल पर बडी खुशी से सजाता है । हमारे लोग एक तो बाल-मनोविज्ञान नही समझते । फिर परेशान रहते हैं । काम मे रहते हैं । वे एक-दो चाँटे मारकर इस समस्या को फौरन हल कर देना चाहते हैं । पर बच्च का भीतर कितना हिस्सा मरता है । उसके विकास पर बुरा असर पडता है । उसे सजा की आदत पडती है । वह बडा होकर नौकरी करता है तो गैर-जिम्मदारी से काम करता है और डॉट या दूसरी सजा के बिना काम नहीं करता । मैं खूद बारह साल अध्यापक रहा । याद करता हूँ नो मेने भी व भी-व भी लडको क्यो पीटा था। पर बहुत कम ( एक घटना को मैं अब भी याद स्टता 7 तो बडी पीड़ा शेती है । मैं माइल हाई स्कूल मे छठवी कक्षा मे पढाता था । एए चपरासी का लडका था। वह लगातार चार दिन नहीं आया । छट॒ही या आया हम इक उम्र ये वाफिफ है. 2




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