धर्म शर्माभ्युदय | Dharmasharmabhyudaya

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Dharmasharmabhyudaya  by महाकविश्रीहरिचंद्र - Mahakavishriharichandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न्‍अिनीनिनगगभगन>-नननननप नमन न न ननन-- नियम - मनन न तन नमन मना ननमननननननन पतन लाल गन न न नमन नमन न---ननन नम नमन थक न+-य घना नम समन नव कण न च्र्म्स्ण्ण्ण्ण्य्भ्य््स्न्श्य्य््य्य्स्य्य्स्प्ण म्फ्स्य्त्ख्य्प्र ््ट म्स्ट स्स्स्य्य्य्ण्ण्य्य्य्य्य्भ्ल्स्य्य््भ्य्स्य्य्भ्य्य्भ्य्य्य्य्य्स्स्य्य्भ्प्््यस्ण्भ्य्य्य्य्भ्ज्य्स्ञ्स््ः स्थ० पुण्यश्लोका माता मृतिदेवीकी पवित्र स्ट्वतिमें तत्सुपुत्र साहू शान्तरप्रसादजी द्वारा संस्थापित भारतीय ज्ञानपी& मूर्तिदेवी ग्रन्थमाला # इस अन्थमालाके अन्तगत प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश्ष, हिन्दी, कन्नड़, ठम्रि आदि प्राचीन मापाभोमें डपलव्घ आगमिक, दार्शनिक, पौराणिक, साहित्यिक, ऐतिहासिक जादि विविध-विपयक जैन-साहित्यका अजुसन्धानपूर्ण सम्पादन तथा उसका मूछ और यथासस्मच अनुवाद भादिके साथ प्रकाशन हो रहा है। जेन मण्डारोंकी सूचियाँ, शिलालेख-संग्रह, विशिष्ट विद्वानोंके अध्ययन- अन्य और छोकहितकारी जेन-साहित्य अन्ध भी इसी अन्थमालामें प्रकाथित हो रहे हैं । के ०७-५७) पाक - प्रन्यमाला सम्पादक डॉ. होरालाल जैन, एस. ए., डी. लिद्‌, डॉ. आ, ने. उपाध्ये, एम. ए., डी. लिंद प्रकाशक भारतीय ज्ञानपीठ प्रधान कार्यालय : ३६१०।२१, नेताजी सुमाप मार्ग, दिल्‍्की-६ प्रकाशन कार्यालय : दुर्माकृण्ड मार्ग, चाराणसी-५ मुद्रक : सन्‍्मति मुद्रणालय, दुंगकिण्ड मार्ग, वाराणसी-५ >> ि: ७2५2५?्ल्‍स्‍ल्‍स्‍स्‍ससससललनलततततत घीर नि० २४७० # विक्रम सं० २००० ७ 14 फरवरी 1५४४ सर्वाधिकार सुरक्षित 2 42224: 2: #न अर « , » स्थापना : फाल्युन कृष्ण ५, कं




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