सुश्रुत संहिताया भाग 4 | Sushrutsahinta Bhag 4
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
39 MB
कुल पष्ठ :
592
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)९ | उत्तरतन्त्रे-अ० १ १३४३ )
जे
हपत्पातों तथेव् थच ॥ शिराजावश्ननाख्या च शिराजाल च
स्मृतम् ॥ ३६ ॥ पवण्यथात्र्ण शुक्क शाणतामाजुनश् यः ।
एते साध्या विकारेषु रक्तजेषु भर्वीन्ति हि ॥ ३७॥
रक्तज नेन्नरांगाम रक्तस्राव अजकाजात शाणताश आर अवलंबित
शुक्र य असाध्य होते ह. आर रक्त कांच एक याप्य ६ 1 ३७ ॥
और मथ स्यद कष्ट वत्म आर हषात्पात ( शिराहषे-शिरोत्पात तथा ) अज-
नाख्या और शिराजाढ ॥ ३६ ॥ पव॑णी अव्रण झक्र शोणिताम ओर अजुन
ये साध्य होते हैं ॥ ३७ ॥
संनिपातज साध्यासाध्यनेत्ररोग ।
पूयद्धावों नाकुरांप्यमक्षिपाकात्ययीउडठूजी ॥ असाध्याः सर्वेजा
याप्यांः काच को पँश्व यक्ष्मंणः॥ ३८ ॥ वत्मोवबंधों यो व्याधिः-
शिरासु पिडका च या ॥ प्रस्तायप्राषिमांसामस्ताय्वमोत्सोगेनी
न्च् या ॥ ये | पएृथाल्सखाइद चे र्यावकद्सवत्सना |
तथाशावत्म शुक्राशः शकेरावत्म यज्य वें ॥ ४० ॥ सशाफश्ा-
प्यशाफश्व पाकी बहलदृत्म वे। आक्िब्नवत्म कुभाका विसवत्सम
चृ सिध्यात ॥ ७१ ॥
संनिपातंके नेत्ररोगोमेंसे एपखाव नाकुलांध्य अत्यक्षिपाक और अलजी
ये चार असाध्य हैं और सत्रिपात कोच तथा पक्ष्मकोप ये याप्य हैं ॥३4॥
और वर्व्मावंध शिराकी पिडका प्रस्तायर्म अविमांसाम स्नास्वर्म उत्संगिनी
मे ३२५ ॥ पूयाुुस अछुद श्याव और कदेमवत्म तथा अशोवत्म शुक्राश
. शकेरावत्म ॥ ४० ॥: सशोफ॑अक्षिपाक अशोफअक्षिपाक वहलवत्म अक्लिन्न
बत्म कुंभीका और विसवत्म ये १५ साध्य हैं ॥ ७१५॥ .... ८ '
सनिमित्तो3निमित्तश्व द्ावसॉध्यों तु वाहमंजों । पट्सप्ततिवि
काराणामेषा संग्रहकीतेना॥ 8५॥ . ४. द
... सनिमित्त ( अभियातस नेत्र नष्ट होना) तथा अनिमित्त ( जिसका नि-
। पित्त जाना नहीं जावे देव यक्षादि दोषसे नेत्र नंष्ट हो जावे ) ये दोनों वाह्य क्
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