शरीर से अमर होन के उपाय | Sharir Se Amar Hone Ke Upaye
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.54 MB
कुल पष्ठ :
198
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मंजर दोने का उपाय... ...
जग चिन्दल्टि शरत्राणि; नेनें ददति वाइस!
बच्चन क्लेद्यन्स्यापो; न शोपयति साख्त: ॥ . ,. .
शीता अऋ० २ रखोक रहे ..
गौता के उपय्यु क्त इछोक का मी यही झर्य है । तारबस्वं
व दे कि यदि मनुष्य की जीवन ज्योतिका तैल्द्वी वा शाथार दो
_ भमर श्रलर और अव्यय है तो ऐसी जौवनस्योति सबंदा
जगमगाती रहे ठो कोई साइचस्यं नहीं शलका न युझना
असस्मव नहीं हैं; बुभनादी असम्मघ है।
आत्मा शानमप झर मनोमय है । मम घिद्याख रुप है।
चिइवास मी धद्दी दोता है जख्म क्चुमघ और छान दोता है ।
मतः जिसका शादी विकारचान हैं, जिसका मनहीं अविधवास -
केविकार से युक्त हे; झथवा, जो य६ दढमानें हुए भर
विश्वास किए दुए है कि अमर दोना असस्मव हे उसके लिए:
भमर दोना अचध्य 'डासस्मव दे । पर विचार करने से मादम
होता है कि वदद शान टुपित श्रौर विकारवान है । सच्चा झतन
कहता है कि भविनाधी से दत्पन्त हुआ यद शरीर भोर
संच्यार झविनस्थो है । जिस शरीर के रोम २...में, भंग २ में
सौर भणु २ में चदी अविनाशी> निर्विकार; अझजर और अमर
भात्मा ब्वापक दे चद कभी मर नहीं सकता । मरता है अधि-
श्याससे वाइस सच्चे कान के अभाव से ।
_ छोग कहेंगेकि इसी,मौता में कहा दै कि
शजावस्याडि धदो सय्युघूदजन्मयतस्यच ” |
जस्मतदुपरिदायेये' जत्वरोचितुमहेसि ॥
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