शरीर से अमर होन के उपाय | Sharir Se Amar Hone Ke Upaye

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Sharir Se Amar Hone Ke Upaye by श्रीयुत पण्डित शिवकुमार शास्त्री - Shriyut Pandit Shivkumar Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मंजर दोने का उपाय... ... जग चिन्दल्टि शरत्राणि; नेनें ददति वाइस! बच्चन क्लेद्यन्स्यापो; न शोपयति साख्त: ॥ . ,. . शीता अऋ० २ रखोक रहे .. गौता के उपय्यु क्त इछोक का मी यही झर्य है । तारबस्वं व दे कि यदि मनुष्य की जीवन ज्योतिका तैल्द्वी वा शाथार दो _ भमर श्रलर और अव्यय है तो ऐसी जौवनस्योति सबंदा जगमगाती रहे ठो कोई साइचस्यं नहीं शलका न युझना असस्मव नहीं हैं; बुभनादी असम्मघ है। आत्मा शानमप झर मनोमय है । मम घिद्याख रुप है। चिइवास मी धद्दी दोता है जख्म क्चुमघ और छान दोता है । मतः जिसका शादी विकारचान हैं, जिसका मनहीं अविधवास - केविकार से युक्त हे; झथवा, जो य६ दढमानें हुए भर विश्वास किए दुए है कि अमर दोना असस्मव हे उसके लिए: भमर दोना अचध्य 'डासस्मव दे । पर विचार करने से मादम होता है कि वदद शान टुपित श्रौर विकारवान है । सच्चा झतन कहता है कि भविनाधी से दत्पन्त हुआ यद शरीर भोर संच्यार झविनस्थो है । जिस शरीर के रोम २...में, भंग २ में सौर भणु २ में चदी अविनाशी> निर्विकार; अझजर और अमर भात्मा ब्वापक दे चद कभी मर नहीं सकता । मरता है अधि- श्याससे वाइस सच्चे कान के अभाव से । _ छोग कहेंगेकि इसी,मौता में कहा दै कि शजावस्याडि धदो सय्युघूदजन्मयतस्यच ” | जस्मतदुपरिदायेये' जत्वरोचितुमहेसि ॥




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