तीन मोटे | Teen Mote
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
181
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
यू. ओलेशा - Yu. Olesha
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तिबुल खतरनाक फ़ासला तय करता गया।
“४ झरे, यह यहां आ कंसे गया?” लोग पूछ रहे थे। “वह इस चौक में कैसे श्रा
धमका ? छत पर कंसे जा चढ़ा? ”
“बह सैनिकों के हाथों से बच निकला,” दूसरों ने जवाब दिया। “बहू भागा,
झोझल हो गया झोर फिर नगर के विभिन्न स्थानों पर दियाई दिया, एक छत से दूसरी
पर कूदता गया। वह तो बिल्ली को तरह फुर्तीला है। उसका हुनर आज उसके दायें झा
गया। ऐसे ही तो देश भर में उसकी ख्याति नहींहो गयी!”
चौक में सैनिक झा गये। लोग भ्रास-पास की गलियों में भाग गये। तिबुल रेलिंग
लांघकर छत के किनारे पर जा खड़ा हुआ। उसने झपता हाथ फैला दिया जिसके गिर्दे
लवादा लिपटा हुआ था। हरा लवादा झंडे की भांति लहरा उठा।
मेले-ठेले के खेल-तमाशों झर रविवारीय सैर-सपाटों के समम लोग तिवुल को इसी
लवादे और पीले तथा काले तिकोने टुकड़ों से सिली विरजस पहने हुए देखने के झादी थे।
भ्रव ऊंचाई पर शीशे के गुम्बज के नीचे छोटा-सा, दुबला-पतला और धारीदार तिबुल भिड़
जैसा लग रहा था जो मकान की सफ़ेद दीवार पर रेंग रही हो। जब लवादा हवा में
फड़फड़ाता तो ऐसे लगता कि भिड़ ने अपने चमकदार हरे पंख फंला दिये हों।
“अभी तू नीचे श्रा गिरेगा , जहन्नुमी कीड़े ! श्रभी तुझे गोली का निशाना बना दिया
जायेगा !” झाँइयों वाली मौसी से बहुत-सा धन विरासत में पा जानेबाले और नशे में धुत्त
बांके-छेले ने चिह्लाकर कहा।
सैनिकों ने अपने मोर्चे साध लिये। उनका अ्रफ़सर गुस्से से भुनभुनाता हुआ इधर-उधर
भाग-दौड़ कर रहा था। उसके हाथ में पिस्तौल थी) उसकी एड़ियां स्लेज की पटरियों की
तरह लम्बी थी॥
एकदम गहरा सन्नाटा छा गया। डाक्टर ने अपना दिल थाम लिया जो उबलते
हुए पानी में अंडे की तरह उछल रहा था।
तिबुल क्षण भर के लिए छत के सिरे पर रुका रहा। उसे सामनेवाली दिशा में पहुंचना
था। तब वह सितारे के चौक से मज़दूरों के मुहल्लों में भाग सकता था।
अफसर पीले श्रौर नीले फूलों की क््यारी के वीचोंबीच खड़ा था। उसकी बगल में
तालाव था और पत्थर के गोल प्याले से फ़ब्वारा छूट रहा था।
“जरा रुको!” अफसर ने सैनिको से कहा। “में ख़ुद इस पर गोली चलाऊंगा।
में श्रपनी रेजिमेन्ट का सबसे श्रच्छा निशानेबाज हूं। जरा गौर से देखना कि कैसे गोली
चजाई जाती है!”
चौक के गिर्द बने नौ मकानों से गुम्बज के भध्य में, यानी सितारे की श्रोर
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