प्रौढ़ - रचनानुवाद कौमुदी | Praudh - Rachananuvad Kaumudi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26 MB
कुल पष्ठ :
438
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कपिलदेव द्विवेदी - Kapildev Dwivedi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रमा, छः , ठृतीया, गस् , बद् धातु . छठ
अभ्यास हे ु
/.., संस्छत वनाओ--(क)(रमा, छडः ) १. सुशीछा सवेरे उठी, उसने मादा भीर
' पिता को प्रणाम किया; पाठ पढ़ा, लेख लिखा, व्याकरण याद किया, खाना खाया और:
. विद्यालय को गई | २, पार्वती उपवन में गई, उसने फल देखे, फूल सूँघे, पेड़ पर चढ़ी,.
लतासे फूल छुने और फूलों को घर छाई | ३, व इधर का रहा, न उघर का रहा | ४.
छड़की पराईं सम्पत्ति है। (ख) (गम् धातु) १. मेरा शरीर आगे जा रहा है और
मन अपरिचित सा होकर पीछेकी ओर दौद़ता है | २, शुढ्धिमानों का समय काव्य-शास्त्र
के विनोद में बीतता है | ३, निरर्थक बकवाद से विद्वानों में मेरी ईँसी हों जाएगी |
-. ४, न चले तो गरुड भी एक पैर नहीं सरक सकता | ५. उस बालिका का नाम. भारती
* शक्खा गया। ६. जलाशय तक प्रिय व्यक्ति को पहुँचाने जाना चाहिए | ७. राजा
'दिलीप छाया की तरह उस गाय के पीछे चछा । ८, सुदक्षिणा इस प्रकार गाय के
'-. मार्ग पर चली, जैसे श्रुति के अर्थ के पीछे स्ट्रति चलती है | ९, में आपकी बात नहीं
.. समझा | १०. जआागेकी बात तो समझ में आ गई। ११, में अपने आपको अपराधी
... सा समझ रहा हूँ । १२, मेरी बुद्धि-कुछ विश्वय नहीं कर पा रही है। १३. अगस्त
. आदि ऋषियों से वेदान्त पढ़ने के लिए में वाल्मीकि के पास से यहाँ आई हूँ । १४.
हम आपकी यह बात स्वीकार करते हैं । मेरे घर पाहुन (अतिथि) आए हैं |
. १६, सज्जन ' सज्जनों के घर आते हैं। १७, कमला विद्यालय से घर लोटकर आई
(प्रत्यागम् ) । १८. ऋषि दयानन्द घर से निकलकर वन में गए, | १९, प्रयाग में गंगा
ओऔर यंभुना मिलती हैं | २०, मिलकर चलो, मिलकर बोलो । २१, चन्द्रमा निकछता
* है, अन्धकार दूर होता है | २२, पक्षी आकाश में उड़कर जाते हैं | २३, शिष्य गुरु के
पास गया | २४. मेघरहित चन्द्रमा को चाँदनी प्राप्त हुईं । (ग) (तृतीया) १, कमला
: ने होल्डर से कापी पर लेख लिखा | २. उमा ने डंडे से बन्दर को मारा । ३, वालूक
: शेंद से खेला | ४. धनहीन जीते हैं | ५. शान्ति ने सरलता से पुस्तक पढ़ ली |
६. उसका नाम कृष्ण है | ७, उसका गोत्र भारद्वाज है। ८. वह संममार्ग से आता है।
, ९, उसने एक धर्ष में गीता पढ़ी | १०, वह सात दिल में नीरोग हुआ | ११, वह घर्म से
. बढ़ता है। .
रा संकेत-- (क) १. उदतिष्ठतू, पितरी। २. आरोहत् , अचिनोत्, आनयत्! ३. इतों
अटष्टस्ततो अ्रष्ट: । ४. अर्थों हि कन्या परकीय एवं | (ख) १. धावति पश्चादसंस्तुतं चेतः | २- काली
गच्छति धीमतास्। हे. अनर्गलप्रलूपेन * विदुर्षां मध्ये गमिष्यान्युपहास्यतान् | ४. असच्छन्
वैनतेयोडपि । ७. भारत्याख्यां जगाम । 5. ओदकान्तं स्निग्धो जनोडनुगन्तब्यः ॥ ७. छात्रेव तां
:' भृपत्तिरन्चगच्छत्त् । ८. श्रतेरिवार्थ स्टृतिरन्वगच्छत् | ९- न खत्वदगच्छामि | १०. परस्तादवगन्यत
' एव । ११. कृतापराधमिवात्मानमवगच्छामि | १२. न मे बुद्धिनिश्चवमधिगच्छति | शैैहे तेस्यो-
इविगन्तुं निगमान्तविद्यासू। १४- अभ्युपगतं तावदस्माभिरेवन्। ९७-.अन्यागतः। ई६<- सूद
, ख्िर्गत्य। १९. संगच्छेते (सम्-+गम आत्मनेपदी है)। २०. संगच्ऋष्ब॑ संवद्ध्दम्॥ २१५ हद:
गच्छत्ति, तिमिरमपगच्छति । २२. खगाः खमुदगच्छन्ति | २३. उपानच्छत | २४. दाशिनझु पद
कौमुदी मेघमुक्तम । (ग) ७- सरलतया । ६- नाम्ना कृष्णः 1 ५. वर्षेणेक्रेन । १०- सप्तमिद्दिने
User Reviews
No Reviews | Add Yours...