श्री गुरु ग्रन्थ साहिब | Shri Guru Granth Sahib

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Shri Guru Granth Sahib by मनमोहन सहगल - Manmohan Sahagal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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3 पृंता गुड करि गिआनु «.. दैपे७ तूं मेरो मेरु परबतु ' पैद्देफ संता मानउ दूता '६२९ जिह मुख बेढ़ गाइती शक! तरवरु एकु अनंत , ० मुंद्रा मोनि दइआा ६४१ कवन काज सिरजे 5४१ जिह सिमरनि होइ श्४९ बंधचि बंधनु पाइआा इैडरे चंदु सूरजु दुद जोति मी दुनीआ हुसीआर रेड (नामदेउ जीउ की ) आनीले कागदु ६४५ बेद पुरान सासत्र द४६ माइ न होती बापु न ६४६ बानारसी तपु करे ; र४७ (रविदास जी की). पड़ीऐ गुनीऐ नामु__ ६४८ (बैणी जीउ की) इड़ा पिगुला अउर 1 अरक, रागु नट नाराइन_ ६४५१ (महला ४) : मेरे मन जपिं अहिनिसि. ६४५१४ राम जपि जन रामै. ६५१ भेरे भन जपि हरि - ६५४२: मेरे मन जपि हरि हरि ६५३ . मेरे मम जपि हरि. -- ६५४ मेरे मन कलि कीरति द्भ्ड [२५ ) पंता मेरे मन सेव सफल ६५४ मन मिलु संत संगति ६५६ कोई आतनि सुनावे हरि ६५६ (महला ५) राम हुउ किआ जाता १५७ उलाहनो मै काहू न ६घ८ जाकउ भई तुमारी ६४८ अपना जनु आपहि ६५९ हरि हरि मत महि ६५९ चरन कमल संगि ६६० मेरे मन जपु जपि ६६० मेरे सरबसु नामु ६६९० हुड वारि वारि जाउ ६६१ कोऊ है मेरो साजनु मीत ६६१ (असटपदीआ म० ४) राम मेरे मति तति ६६२ राम हम पाथर निर ६६३ राम हरि अम्रित सरि ६६४ ' राम गुर सरति प्रभू १६५ राम करि किरपा लेहू._ ' ६६७' भेरे मत भजु ठाकुर श्ध्द । रागु मालीगउड़ा. ६७०- हा (महला ४) अनिक जतन करि _ _ ६७० जपि मनु राम नामु ६७० सभि सिघ साधिक मुनि ७१ मेरा मनु राम नामि ६७२ मेरे मन भजु हरि हर - ९७३. मेरे मन हरि भजु सभ - ६७३-




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