श्रीमद्वाल्मीकि - रामायण | Srimad Valmiki - Ramayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
35 MB
कुल पष्ठ :
723
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)युद्धकाण्ड उत्तरा्ड,
की
विषयानुक्रमणिका
अड्सठवाँ सगे ६६७---७० ३
युद्ध से भागे हुए राक्षसों द्वारा कुम्भकण के मारे
जाने की सूचना रावण को भिलनी । कुम्भकर्ण के मारे
जाने पर रावण का बविलाप। उस सम्रय रावण को
विभीषण को बातों का स्मरण होना ।
उनदृत्तरवाँ सग॑ ७०३---७२७
त्रिशिरा का रावण को आश्वासनग्रदान | त्रिशिरा,
अतिकाय, देवान्तक, मरानतक, महोदर, महाकाथ आदि
की युद्ध-क्षेत्र-यात्रा । बानरों ओर राक्षसों का घोर युद्ध ।
नरान्तक का वानरी सेना को ध्वस्त करना | वानर सैन्य
का नाश होते देख, सुप्रीव की अद्गभद के ग्रति उक्ति।
तदनुसार अज्ञद का युद्ध के लिए आगे बढ़ना । नरान्तक
ओऔर अद्भद का युद्ध । नरान्तक का अज्भद के हाथ से बध।
सत्तरवाँ सग ७२८---७४४५
देवान्तक, त्रिशिरा, महोदर का अज्ञद के साथ
थुद्ध । देवान्तक का वध । मद्दोदर का वध । त्रिशिरा का
वध | उन््मत्त राक्षस के साथ हरियूथप गवाक्ष का
युद्ध । उन्मत्त राक्षस का गवाक्ष द्वारा वध ।
इकद्तत्तरवाँ सगे ७४५---७७३
भाई, चचा आदि के बध से ऋद्ध हो, अतिकाय का
युद्ध करमे के लिए आना | अतिकाय की मार से वानरों
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