श्री ज्ञातधर्म कथांग सूत्र | Shree Gnatadharma Kathanga Sootram
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
37 MB
कुल पष्ठ :
858
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४
सोसायटी के पेहन ( संरक्षक ) बने । सन १९७६ में अन््यों को भी-कार्य
संचालन का अनुभव हो एतथे आप निहच हुए, किन्तु अंत समय तक सोखा-
यदी के उत्येक काये के लिये आप सलाह देते रहे और चह समाज का गौरव
था कि आप जैसे कछुशछ एवं विचक्षण सलाहकार मिले |
दानके भवाह को शुभ मार्गमें बहाने का आप का प्रयास अत्यंत अन्ञुकरणीय
रहा । और मद्रास के जैन सम्ताजने वैंदकीय राहत क्षेत्रमें “ जैन मेडिकल
रिलीफ सोसायटी ” स्थापित की-जिप्तके तल्ावरधानमें कई डीसपेंसरियां ओर
एक परक्षृतिग्रह चल रहा है। आप उसकी कार्य कारिणी के प्रदाधिकारी घ
सदरय रहे ।
इतनाही नहीं आपने अपने व्यापार क्षेत्रक्ो नहीं भूठा और सेदापेट (भरूदान)
में शुद्ध आयुर्वेदिक औषधलूय-जलिनेश्वर औषधालय खोला जिसके साथ भागे
जा कर अपनी पत्नीके नामपर रामसुरजवाई गेलडा प्रमूतिणह भी खोला।
एतदर्थ आपने अपने हितीय पुत्र स्वर, नेमीचंद्जी की इच्छाके अहुपार अरुग
टूस्ट बना दिया है।
आपने अपनी जन्मभूमि कुचेरा के लिये भी कुछ करने के विचार से वहां
पर भी छात्राठय शुरू १६९४२ में करवाया और उसके प्रारम्भक्ठ से आपकी
ओर से २०५० मासिक सहायता उसे दी जा रही है-जो अब भी चालू है।
तदुपरांत ताराचंद गेलडा ट्रस्ट भी आपने कायम किया जिससे कई उदीय-
मान जैन समाज के विद्यार्थिओं की आशाओं को पोत्साइन दिया गया और
दिया जा रहद्दा है।
उनके अदम्प उत्साह ओर जोश के साथ उनके दृढ मनोबल का परिचय
न दिया जावे तो उनका. व्यक्तित्व अधूरा रहेगा | वे अपने आप आगे बढ़ने
वाले थे । वहुत ही छोटी उम्र में उन्हों ने व्यापार किया और ताराचंद गेलडा
एन्ड सन्स, टी. थी. ज्वेक्रीज एवं महेन्द्र स्टोसे आदि व्यापारिक फर्म चछे।
सामान्य पूंजीसे लेकर वे छाखोपति बने । सामान्य शिक्षा ज्ञान के बार भी
चार भाषा की जानकारी और प्रवकत व्यापारिक ज्ञान आपकी विशेषता थी।
आजीवन खादीवत, हायघंटी का पीसा हुआ धान और गायका दध-घी
कुठिन व्रत वे आजीवन निभाते रहे। समाज-छुघारणा भी आपने कई प्रकारसे की
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