औपपातिक - सूत्रम् | Aupapaatik - Sutram

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Aupapaatik - Sutram by कन्हैयालाल जी महाराज - Kanhaiyalal Ji Maharaj

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कन्हैयालाल जी महाराज - Kanhaiyalal Ji Maharaj

Add Infomation AboutKanhaiyalal Ji Maharaj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१३ शान्तस्वभावी वैराग्यमूर्ति तत्ववारिधि चैयेवान श्री जैनाचाये पूज्यवर श्री श्री १००८ श्री खूबचन्दजी महाराज साहेबने सूत्र श्री उपासकदशाइजी को देखा । आपने फरमाया कि पण्डित मुनि घासीलालजी महाराज ने उपासकदशाहु सत्रको टीका लिखिने में बडा ही परिश्रम -किया है। इस समय इस प्रकार प्रत्येक सूत्रोंकी संशोधनपूर्वक सरल टीका और शुद्ध हिन्दी अनुवाद होने से भगवान निग्ग्रैन्थों के प्रवचनों के अपूर्व रस का लाभ मिल सकता है. बाढाचोर से मारतरतन शतावधानी पंडित मुनि श्री १००८ श्री रतनचन्दुजी महाराज फरमाते हैं कि :-- उत्तरोत्त जोतां मूल सूत्रनी संस्क्ृत टीकाओं रचवामां टीकाकारे स्तुत्य प्रयास कर्यो छे, जे स्थानकवासी समाज मांटे मगरूरी लेवा जेवुं छे, वली करांचीना श्री संवे सारा कागल्मां अने सारा टाइपमां पुस्तक छपावी ग्रगट कयु छे, जे एक प्रकारनी साहित्यसेवा बजावी छे. मे बम्बई झहेर में विराजमान कवि मुनि श्री नानचन्दजी महाराजने फरमाया है कि पुम्तक सुन्दर है, प्रयास अच्छा है । डर खीचन से स्थविर क्रियापात्र मुनि श्री रतनचन्दजी महाराज और पंडितरतन मुनि समरथमलजी महाराज फरमाते हैं कि-विद्यान महात्मा पुरुषोंका प्रयत्न सराहनीय है | जैनागम श्रीमद्‌ उपासकदशाड़ सूत्र की टीका, एवं उसकी सरल सुबोधनी शुद्ध हिन्दी भाषा बडी ही सुन्दरता से लिखी है ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now