प्रवेशिका हिन्दी व्याकरण | Parvesika Hindi Vyakaran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
216
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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7 खन्धि विचार । श३
परन्धि, समू+गमर>सन्लम सगम, सम्+योगसयोग
प्म्+ बत् ८ स्वत इत्यादि। स्प॒र पर रददने से म् स्थर में
मेल जाता है। जैस सम्+ आचार समाचार इत्यादि ।
चर्मी फे प्रथम वर्ण के भागे सानुनासिक वर्ण रहे तो प्रथम
एं के स्थान में उसी वर्ग का साधुनासिक वर्ण द्वोगा। जैसे,
प्रकू+ मय 5 वाड्भय, ज्गत्ू+ नाथ > जगन्नाथ, दिक् + नाग <
नाग, उत्त्+ मत्त ८ उन्मत्त इत्यादि |
हस्व स्वर के परे छ धोवे तो छ के साथ च् मित्र जाता
1दौघ्र स्वर के आगे कहीं होता दे श्ौर र्द्दो नहीं। जैसे
रि+छुद 5 परिच्छद, छुक्त+छाया -८वबृक्तच्छाया, लद्दमी+
या & लचमी च्छाया, लद॒मीछाया इत्यादि 1
यदि चू अथवा ज् के परे वन्य न द्ोतो न के स्थान में
दो जाता है। जैसे, याचू+नान्याशा , यजू+नन््यश
प्यादि।
मूर्दन्य प् के आगेत् रहने से त् के स्थान में द् और थ
खान में 5 होता है। जैसे, आरृप् + त ८ भाकृष्ट, उत्कृप् +
झस्डत्कष्ट, पप् + थ + पछ इत्यादि ।
यदि त् द् और न् के आगे ल रद्दे तो उनके स्थान में रत
। जाता है और न के स्थान में अज्गस्पार भी द्वोता है । जैसे,
ब्+ लेख + उसलेख, उत््+लघन - उरलघन, तत् + लीला +
ब्वीला, मदान्+ लाभ -मर्दाँल्लाभ इत्यादि ।
अभ्यास |
/ नौचे लिखे पर्दों में साप करो भीर उतक नियम वत्ताश--वाकू +-हश, परिन॑-
आक +सुख, भप् न-भाग, तत्+गत, सव॒+शाख, सव--जाति, समु+गम,
+जय, सम्+-लाप सम्+हारं, सैत्+चिदानद, वितु+मय 1
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