निदान कथा | Nidaan Katha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
83
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)$ लनिदान-कथा #
नमी तरस भगवतो अभरहतो सम्सा पम्बुद्धस्स
निदान-कथा
१--पणामगाथा
, जातिकोटिसहस्सेद्दि पमाणरहित॑ हित॑।
छोकरुस छोकनाथेन कत॑ येन महेसिना ॥ १॥
तस्थ पादे नमस्सित्वा क॒त्वा धम्मस्स चञ्जलिं |
सट्बत्ल पतिमानेत्वा सब्बसम्मानभाजनं ॥ २॥
, नमस्सनादितो अस्स पुव्ञस्स रतनत्तये ।
पवत्तसरसानुभावेन भेत्वा सब्बे उपहवे ॥ ३॥
तें त॑ कारणमागम्म देसितानि जुतोमता।
अपण्णकादी नि पुरा ज्ञातकानि महेसिना ॥ ४॥
यानि येसु चिरं सत्था छोकनित्थरणत्थिको !
अनन्ते बोधिसम्भारे परिपाचेसि नायको ॥ ५॥
. तानि रूब्बानि एकज्ञझ आरोपेन्तेहि सद्गहं।
जातकं॑ नाम सड्ीतं धम्मसद्भाहकेहि य॑॥ ६॥
, बुद्धबंसस्स एतस्स इच्छन्तेन चिरद्धितिं।
याचितों अभिगन्त्वान थेरेन अत्थद्स्पिना ॥ ७॥
असंसद्नविहारेन सदा सद्धिविहारिना ।
तथेव बुद्धमित्तेन सन्तचित्तेन विव््यना | ८॥
म्रहिंसासकवंसम्दि सम्भूतेव नयव्य्युना।
बुद्धदेवेन च तथा भिक्खुना सुद्धबुद्धिना ॥ ९॥
» मसहापुरिसचरियानं आलनुभाव॑ अधिन्तिय॑ ।
तस्स विज्नोतयन्तसरस जातकस्सत्थवण्णनं ॥१०।॥
मदहाविहार॒वासीन॑ वाचनामगानिरिसितं ।
भासिस्सं, भासतो तम्मे साधु गण्हन्तु साधवो'ति ॥११॥
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