सिंघी जैन ग्रंथमाला | Singhi Jain Granthmala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
387
श्रेणी :
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आचार्य जिनविजय मुनि - Achary Jinvijay Muni
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बहादुर सिंह जी - Bahadur Singh Ji
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जैन आगमिक, दाशेनिक, साहित्यिक, ऐतिहासिक, कथात्मक-वत्यादि विविधविपयगुम्फित्त
प्राकृत, संस्कृत, अपभ्षेश, प्राचीनगुर्ज्र, राजस्थानी आदि भाषानिचद्ध
बहु उपयुक्त पुरातनवाद्म॒य तथा नवीन संशोधनात्मक
साहित्यप्रकाशिनी जेन ग्रंथावलि ।
३ पुण्य
कलकत्तानिवासी सवगस्थ श्रीसद् डालचन्दजी सिघी की पुण्यस््वृतिनिमित्त
हु बहा ३ सिधी |
तससुपत्र श्रीसान् बहादुरसिहजी सिंघी कदेक
संखथापित तथा प्रकाशित |
--8५8--
सम्प्द्क तथा सश्चुत्तक
/:५ / ५ बेजय
जिनविजय मुनि
| सम्मान्य समासद-भाण्डारकर ग्राच्यविद्या संशोधन मंदिर पूना, तथा गुजरात साहित्व-
सभा अहमदाबाद; भूतपूर्वांचार्य-गूजरात पुरातत्वमन्दिर अहमदाबाद; जैन
वाडमयाध्यापक विश्रभारती, शान्तिनिकेतन; संस्कृत, आकृत, पाली,
प्राचीनगूजर आदि अनेकानेक ग्रन्थ सेशोधक-समस्पादक | |
ग्रन्थांक ?०
प्राप्तिस्थान-
४-३ ६ अर. लि
व्यवृस्थापक -[सधी जन ग्रन्थसाला
अनेकान्त विहार पद सिघी सदन
९, शान्तिनगर; पोष्ठट-सावरसत्ती | | (५ ८, गरियाहाव्रोड; पो० चालीगंज
अहसदानबाद कलकत्ता
स्थापनान्द ) सर्वोचिकार संरक्षित | [ दि० सं० १६४६
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