सप्तपर्दा | Samprada
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चाय का प्याला हाथ में लेकर लाननिह दृप्णस्वामी के! कमरे के
ऱ्दरवाजे पर जा खड़ा हुआ । वह जानता है कि बीच-दीच में बाबा साहद
बाइविल के सरमन अपने-आप ही पहने लगते हैं। वह भपने माय झोर
“बदन पर कायदे के प्रतुसार हाय लगाकर “ग्रामीन! कहता है 1
सचमुच ही वावा साहव कमरे में इघर-उघर चकफर काट रहे हैं
झौर दाइविल पढ़े जा रहे हैं ॥ वाइविल नहीं, रृष्णस्वामी कद्रिता-पाद
“कर रहे थे ।
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शेक्सपरियर के 'झयिलो' में पाठ कर रहे हैं कृष्णस्वामी । स्भाज
“रामचरन के मऊ़ान से ही 'प्रॉयेलो' याद झा रहा है। उस गुवती के साथ
“बातचीत में 'ग्रॉथेतरों' की कितनी पंवितयों का प्रयोग किया था !
“लेट मी सुक ऐट योर भाइज । लुक ऐट माई फेस । पीस एण्ड बी
“स्टिल |”!
ये सभी “प्रॉयेलो' नाटक के संवाद हैं ।
“देशेन्स यू यंग रोज-लिप्ड मेड--””
इसका भी बहुत-सा हिस्सा वही से है। ये सब बातें भ्रमरीकी प्रफसर
“के समझते की नहीं। भीजन-शराब-मारी-नाचरंग-हृथिया र-प्रस्त्र-दम्त्र--
इन्हें छोड ऐसी बातें समझे से युद्ध नहीं चलता 1 ठीक है, कुछ-कुछ
ऊँचे स्तर के लोग भो हैं। शायद वहुत-ले कवि भी कलम छोडकर कमर
में रिवाल्वर सठकाये राइफल कन्ये पर रखे झा गये हैं, पर वैसे कितने
हैं ? कम-से-कम वें लोग इस प्रकार एक स्त्री को सिर पर उठाये नहीं
“घूमते । पर रीना ब्राउन भी न पहचान सही । झब्द कानों में पहुँचे, पर
स्मृत का द्वार नहों खुला । भ्राइचय्य
नही । भाश्चर्य किस वात का ? झराब्र ने उसबी स्मृति को, बुद्ध
“को, शायद सारे प्स्तित्व को, भाच्छलन कर रखा या ।
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