नारीविज्ञान | Nari Vigyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.62 MB
कुल पष्ठ :
310
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं. विष्णुदन्त शुक्ल - Pt. Vishnudant Shukla
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषय-सूची ।
हानि--घ्रेय की आवश्यकता--धायोंकी मूखंता--अबुचिते
हत्तज्षेप--प्रसवके समय किन लोगोंकी उपस्थिति हानि-
कारक होती है --पतिकों प्रदूताके पास किस समय जाना
चाहिये ?--प्रसवर्में कितना समय लगता है ?--प्रसवकेः
बादकी पीड़ाये”--उनके होनेका कारण--उन्दें रोकनेसे
हानि--प्रसवकी तीन अवस्थाये--प्रारस्मिक अवस्थामें
प्रसुताका कस व्य--द्वितीयावस्थामें प्रयूताका कत्त व्य---
प्या इन दो भवस्थामोंमें प्रसव-वेद्ना रोकना उचित है [--
तोसरी भवस्थामें प्रयूताक्ा कत्त व्य--वच्चेको निकालनेके
लिपे जोर करनेरा तरीका--प्रसवके समय धघायका
कत्त ध्य--प्रयूति खुद कैसा दोना चाहिये १--प्रसव करनेके
तरीके--प्रलवकी तैयारियां-प्रदूताके पेडको सफाई--
फ्रयूताके कपड़े--प्रयूति दद कितना गरम रहना चाहिये --
प्रदूति गूदकी :खिड़कियां ओर करोखे--म्रदति गृहमें किन
छोगोंका रहना माचश्यक होता है ?--प्रसवके समय कसी
घाय और फैसी ख़ियोंसे प्रदताकों दूर रखना चाहिये १
प्रसव समय प्रद्रताकी माताकों कहाँ रदना चाहिये !--
प्रदूताका चित्त शान्त रखनेकी आवश्यकता--प्रसवके समय
डाकटरका फत्त व्य--शरावका उपयोग--प्रसवके समय
प्रदूवाका भोजन--प्रसवके समय बारम्वार पेशाघ करते
रहनेसे ठाभ--कोरोफाम का :प्रयोग--यदद मयोग किस
[ श्३ 3
User Reviews
No Reviews | Add Yours...