मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएं | Meri Shreshtha Vyangya Rachnayen

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Meri Shreshtha Vyangya Rachnayen by अमृतलाल नागर - Amritlal Nagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दो भापण भी लिसवाये । यह सव करवाते हुए सातिरें भी करती था । साहव क॑ लिए जाने वाली रिश्वती द्विस्की मे डॉवटर साहय वा ह्स्सि भी राज लगन लगा. खाने-पहनन का सुख भी था । साहव क॑ दा पुराने सूट भी दर्जी स धाइ छटवाकर दहें द लिये । सूट पुरान सवा नित नयी-नयी । प्रिययातम दफ्तर म जिस तिस के सामने नोसिया वधारन लग । कुसुमलता जी का कंझालोचनी इतिहास उउकं साथ अपना नूरी- सच्ची प्रमक पाए इत्तनी सुनायी कि साहब क काना तक थातत पहुंची । साहब न मम साहव स कहा. यह आलमी जास्तीन का साप है । इस रखना ठीक नहीं । पंदालाचनी कुसुमलता जी जाइ सी ०एम० की बटी आइ०ए० एस० की अद्धांगिनी सुनते ही जाग भमूवा हो उठी इस पानी कड़ी के पोएट को मैं असली हैसियत दिखला दूगी । नौकर का आला टिया कि. उसका सूटकेस बाहर निकालकर उसके बवाटर को ताला लगा दो । कोठी में पुसने न देना उस । न जायें तो धवक्त मारकर निकाल दना। नौकर का हुकुम दकर बटालोचनी मम साहब ने गारीगा को फोन करके प्रिययातम की मिला के लये लय बाय फाड़े । गौरोश ने कहा आपने उचित समय पर मुझे चेताय दिया दवी जी अब मैं साओधान रहूंगा । उनका कच्चा चिटठा जब हम विदित हो गया है। न डावंटर है न विलायत रिटन । नेक्नि साहब क बगल से निकल जाने पर प्रियकातम गौरीश के यहां न गये। एक जगह और मेहमान वने । नफस री भ्रप्टाचार के विरुद्ध लाल वावटा (लाल कड़ा) टाइप गात लिखे । जिसके घर दो-चार दिन के वास्ते रुके उसके लिए ही बयाले जान बन । किसी आतिथेय के कीमती फाउटनपन पर वधू बबू कह के अधिकार जमाया किसी के स्कूटर को विना पूछे सर-सपाटे के लिए ल गये । कसी की नौकरानी को इतना घेरा कि उसने अपन मालिक से शिकायत वी । एक महीने के भीत्तर छह जगहे बदली जौर छा घरा से निकाले गये । कही बहाने से कही बआावरू होकर 1 है० / मरी श्रेष्ठ व्यग्य रचनाएं




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