भारत के हिन्दू सम्राट | Bharat Ka Hindu Samart

Book Image : भारत के हिन्दू सम्राट - Bharat Ka Hindu Samart

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about चन्द्रराज भंडारी विशारद - Chandraraj Bhandari Visharad

Add Infomation AboutChandraraj Bhandari Visharad

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
थे भूमिका । कह « न छ , ब्रश दर दर जन सुधारणा शास्त्र की योजना के निमित्त सौतिक दशास्तादि लिन ७८ * मिन्न भिन्न शास्त्रों की आवश्यकता होती है इतिहास भी उनसें से एक प्रधान शास्त्र है । बिना भरूतकाल का प्रकादा चर्तमानकाल पर पड़े हस उन चास्तविक तत्वों के जानने में असमर्थ रहते हैं जिनके द्वारा भूतकादिक जातियों की उत्क्ान्ति या भपक्रान्ति होती थीं और इस कारण बिना इतिहास शान के सुधारणा-तत्व का एक अंश विलकुछ खाली रह ्ञाता है । इतिदास सुधारणा-तत्व की इसी कमी को पूरी करता है । चह बिजली के ऑक्स की तरह भ्ूतकाल का प्रतिबिस्व वत्तमान काल पर डाकता है वह भूतकालिक जातियों के उत्थान और पतन का हूबहू चित्र मारे सम्मुख रख देता है जिसका अध्ययन कर हम लोग वत्तमान-ससाज टी उन्नति भोर प्रगति के तत्दों का ज्ञान सइज ही में हासिल कर तकते हैं । मानवीय सभ्यता के प्रारम्भ सें जब कि मनुष्य जाति को अपनी ्तच्यराक्ति का पूरा ज्ञान न था भौर समाज में भोतिक शास्त्र की उन्नति | हुई थी उस समय साहित्य में इतिहास को स्थान न था । उस समय टी जातियाँ इतिहास के सहत्व को पदचानती भी न थी क्योंकि उस समय [नुप्य द्वारा किये हुए छोटे से छोटे कार्य्य का कर्त्ता भी ईश्वर माना जाता पा । मजुष्य उस समय केचल एक साधक के रूप से माना जाता था | ' पर, ज्यों ज्यों सभ्यता का विकास होने लगा ज्यों ज्यों समान की




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now