हिंदी महाभारत द्रोनापर्व | Hindi Mahabharat Dronparv
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
115 MB
कुल पष्ठ :
696
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about चतुर्वेदी द्वारका प्रसाद शर्मा - Chaturvedi Dwaraka Prasad Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छः . ः द्रोणपे ँ र _ इस कथन के अनुसार दस दिन तक दुर्योधन की अनुमति से हाथ में घनुष नहीं पकड़ा उसी कर्ण को आपके पुत्रों ने भीष्म - के शरशस्याशायी. होने पर वेसे ही स्मरण किया जैसे नदी पार होने के. लिये. पथिक नोका का स्मरण करता हे । उस समय श्रापके सब पुत्र समस्त सैनिक और आपके प् के समस्त राजागण हा कर्ण | हा कर्ण कह विकल हो गये और कहने. लगे । हे कर्ण आओ रब समय हे जब तुग्दें युद्ध करना चाहिये । चिपत्ति पढ़ने पर लोग जैसे अपने भाई बन्घुओं का स्मरण करते हैं वैसे ही कौरवों की सेना के लोग परशुराम के. शिष्य महाबलवानू एवं अत्यन्त तेजस्वी कर्ण का स्मरण करने लगे । वे लोग कहने लगे । जैसे -गौएं महा सूट उपस्थित होने पर देवताओं का उद्धार करती हैं वेसे ही घनुघरों में श्रेष्ठ महापराक्रमी कर्ण इस सददाविपत्ति के सागर से दस लोगों को पार करेंगे । वेशस्पायन जी. बोले--हे जनमेजय जब सज्जस इस प्रकार बारंबार. कर्ण का बखान करने लगे तब घुतराष्ट्र ने सॉप की तरह .. साँस ले उनसे यह कहा--हे सजय कौरवों के अवलंब भीष्स के सारे जाने पर जब तुम लोगों का ध्यान उस राघेय कारण की. झोर गया जा खंश्राम में शरीर को भी चुच्छ समझता है तब क्या कर्ण लड़ने को आगे आये थे. ? . क्या सत्यपराक्रमी कर्ण ने घबड़ाये तथा दटे हुए एवं रक्षा चाहने वाले . कौरवों. की श्राशा पूर्ण की थी ? क्या घडुघेरों सें श्रेष्ठ कर्ण ने भीष्स के. रिक्त स्थान की पूरति कर शत्र्रों को भयन्ररत कर हमारे युन्न की विजयकामना चरितार्थ की थी ?
User Reviews
No Reviews | Add Yours...