किले की रानी | Kile Ki Rani
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
35.56 MB
कुल पष्ठ :
135
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)किले की रानी श्घ
से डूबता उतराता हुआ किसी तरह में तो किनारे था 'लंगा
_ छेकिन अफसोस ! कर्नल की जवान और खूबसरत जोरू और. :
उसके छोटे बच्चें तथा भंशफियों से भरे सन्दूक का कहीं
यता न लगा । उसी वक्त मील में ज्ञाल डलवाये पर कुछ
काम न निकला । कि पर
फ्लोरा का यह सुन कर बहुत दुगख हुआ । अभी तक तो.
अन्धियारी ने झील और पहाड़ी के ट्ूश्य का छिपा रकक्खा था,
लेकिन यकायक निकंल आने वाले चांद की रुपदठी चांदनी
ने अब चारों तरफ रोशनी कर दी । भद्दी चींजें भी इस खुहा-
चनी रात में अच्छी लगने लगीं । भी छ पर जो चांद का अक्स
पड़ा तो कुछ अजब रह दिखाई देने लगा । पानी की हूलकी
लहरें जो हवा के कारण लहरा रही थीं चांद की रोशनी पड़ने
से ज़गमगाने लगीं । मिष्टर कोटलैण्ड ओर फ्लोरा ने जो.
आंख उठा कर देखा तो मकौल में डांगी पर एक आदमी खड़ा
दिखाई दिया । चांद की उजियाली में दोनों ने उसकी. सूरत
भी अच्छी तरह देख ली । वह एक खूबसूरत और नोजवान
आदमी था । मिष्टर कोर्टठेण्ड ने उ तका पहिचान कर कहे,
- कोर्ट» । भाह ! यद्द तो वद्दी घीमर है जो बहुत दिनों से.
मछली वालों के गांव में रहता है। क्या यही उस सन्दूक को.
निकालना चाइता है? लेकिन यह उसका दाल कया जाने ।
गज परमिलकररट वश सा वन ही कस हु न
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