रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण | Ramchrita Manas Aur Balmiki Ramayana

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Ramchrita Manas Aur Balmiki Ramayana by राधिकाप्रसाद त्रिपाठी - Radhika Prasad tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१, रास की जन्मतिथि चेत्रस्थ शुक्ल पक्षे तु नवस्यां श्री पुनंती । प्रमिजचित नाम योगेड्सो कौसत्यानंदनौडभवतत ॥। सुर्रा०, पु, १०२ नौमो तिथि सधुसास पुनोता। सुकल पच्छ झधिजित हरि प्रीता |) नरा+ साठ, १1१९६०1१ २. लक्ष्मण-परशुराम-संवाद-- घनुरेक गुरंधते, बलमस्माकर्मुजितम्‌ | उपबीतं नव गुर विशिष्ट भवतां बलमस्‌ ॥। एशुर्रा०, पूर्व, ७८1२३ देव एक गुव धनुष हमारे । नवगुत परम पुनीत तुम्हारे 1! नारा. मा०्, १1२८१1७ शक ३. मधरा-प्रसंग-- संथरा सास ककेय्या दासी संदतयाधिया । तस्या कंठे सलिविश्य ब्राह्मी प्रति विधास्यति ।] -ासु०रा०, दक्षिण, १४1१० नाम मंधरा संद मति, दासो कंकेई केरि । भ्रजस पेटारो ताहिकरि, गई गिरा मति फेरि |” * नगरा० सा०, २1१२ ४. भरत्त-पुदद-मेंट-ा इत्युक्त्वा बलवान वीर: श्यूड्बेर पुराधिप: । युहीत्वो पायनों दिव्यान्‌ मह्स्थान्‌ पाठीन रोहितान्‌ ॥) सॉसानि सु भांडश्च फलानि विधिधाति व | झभ्यगाद्धरत शुर। सस्नद्ध कवचों गुहः ॥ “सुभ्रा०, दक्षिण, ८०२४-२५ प्रस कहि भेंट संजोबन लागे | कंद सुल फल खग सृग माँगे । सीन पोन पाठोन पुराने | भरि भरि भार कहारन्ह झाने 1] ननराब्सा०, २१९२२, ३




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