रोबिनसुन क्रूसो | Robinson Crusoe

Robinson Crusoe by श्री जनार्दन झा - Shri Janardan Jha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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_ कसा के भाग्य में भयड्डर तूफान | है मैंने देखा कि जहाज़ के कप्तान मामी मल्लाह ओर मेट झादि जो सहज ही डरने वाले न थे वे लोग भी लग्गी-पतवार छोड़ की कर ईश्वर की प्राथना करने बेठ गये । सभी लोग पल पल में समुद्र की तलहटी में जाने को श्ाशड्डा कर रहे थे । इसी प्रकार उद्देग और अशड्ा में समय कटने लगा । आधी रात के ससय एक नावबिक ने झाकर ख़बर दी कि जहाऩ में छेद हो गया है । एक श्और व्यक्ति ने ख़बर दो कि जहाज़ के भीतरी पढे में चार फुट पानी मर गया है। तब सब लोग पानी उलीचने के लिए बुलाये गये । इतनी देर में में अकम्मेंरय हो बैठा था क्यों कि में नोका-सम्बन्घी विद्या में अ्रपटु था। में न जानता था कि क्या करने से जहाज़ की रक्षा होगी । नोका-सश्वालन की शिक्षा का प्रारम्भ ही किया था। किन्तु इस समय पम्प चलाने के लिए मेरी भी पुकार हुई । में भय से कॉँपता हुआ कोठरी से निकल चला | हमं लोग प्राणपण से पम्प चला कर जहाज़ में से पानी उलीच कर बाहर फेंक रहे थे । इतने में हमारे जहाज़ से विपत्ति के संकेत-स्वरूप तोप का शब्द डुझआा । मेंने समभा या तो जहाज़ ट्रर गया है या ञर ही काई भयानक दुर्घ- रना हुई है । में ख़ोफ़ के मारे मूर्खित हो गिर पड़ा । उस समय सभी लोग झपने झपने प्राण बचाने की फिक्र में थे किसी ने मेरी अवस्था पर ध्यान न दिया । एक व्यक्ति ने मुझे मुर्दा समझ कर लाठी से अलग हटा दिया ओर मेरी जगह व्याकर आप पम्प चलाने लगा । में बहुत देर बाद होश में या और देह भाड़ कर उठ खड़ा हुआ | रह ति हम लोग पम्प के द्वारा पानी फंक रहे थे किन्तु जहाज़ के निश्नप्रदेश में पानी क्रमशः बढ़ने ही लगा । तब ससभो ने




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