तमिल साहित्य और संस्कृति | Tamil Sahitya Aur Sanskriti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.87 MB
कुल पष्ठ :
256
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दक्षिण भारत श्३ हूै। यहा के ब्राह्मण वुद्धिजीवी श्र श्रन्नाह्मण प्राय किसान और व्यापारी होते है। यहा के हाथ के बने रेशमी श्रौर सूती कपडे सारे भारत में प्रसिद्ध हे। ईसा के कई सौ वर्ष पहले भी यहा के लोग पूरब में चीन जावा सुमान्ना प्रादि देशों के साथ झ्रौर परिचिम मे रोम ग्रीस मिस्र अरब श्रादि देशों के साथ व्यापार करते थे। श्राज भी दक्षिण भारत में यह सबसे उन्नतिशील प्रात माना जाता है। प्राकृतिक शोभा की दृष्टि से तमिठनाडु में श्रनेक रमणीय एवं दर्शनीय स्थान है। नीलगिरि की पहाडी पर बसा हुमा उदकमडलम (ऊठटी) नगर और मढुरा जिले में पलनी मी पहाडियो पर कोडयस्रिकनाल नामक स्थान शोभा श्रौर स्वास्थ्य के केद्र हे। यें दोनो नगर समुद्र के घरातल से लगभग ६ ५०० फीट की ऊचाई पर वसे हे श्रौर दक्षिण के दो प्रसिद्ध हिल स्टेशान हैं। इसी तरह कुत्तालम का जल-प्रपात श्रौर कन्याकुमारी का सुदर समुद्र-तट प्रति वर्ष हजारो दर्गकों को श्रपनी झ्रोर श्राकृष्ट करते हे । क तमिछ देश की नदियों में सबसे प्रसिद्ध कावेरी भ्रौर ताम्रपर्णी हूं। कावेरी नदी कूर्ग में ब्रह्मगिरि की पहाडी से निकलकर दक्षिण-पुर्वे की झ्रोर बहती हुई तमिछनाडु मे प्रवेश करती हू और तिरुच्चिरापल्ली तथा तजाऊर के जिलो की भूमि को अपने जल से उबर बनाती हूँ। तसमिछ का प्राचीन साहित्य कांवेरी के जीचनदायी गुणों की प्रशसा से भरा हैं। दक्षिण के झनेक पुण्य क्षेत्र तथा दक्षिण में मायें-सस्कृति के प्राचीन केद्र कावेरी और ता्रपर्णी नदियों के तट पर ही वने थे। ताश्रपर्णी नदी पदिचिम घाट की पहाडी के दक्षिणी छोर से निकछकर तिर्नेछ- वेली जिले में वहती है। तिरुनेलवेली शभ्रौर कन्याकमारी तमिकनाड़ु के सबसे दक्षिणी जिले हे श्रौीर वहुत सपन्न और उन्नत हे। तसिछनाडु मदिरो का देश कहा जाता है। यहा के पल्लव चोठ भ्ौर पाडिय राजाश्रो ने मदिरों के निर्माण में अपना सर्वस्व छगा दिया था। उन्होंने हजारो मदिर वनवाये जो शझ्राज भी उनकी धर्म-प्रियता और ईव्वर-भव्ति के सुदर प्रतीक हूं। राज्य-पुनर्गठन के अनुसार दक्षिण के चारों राज्यों का क्षेत्रफल श्रोर झरावादी निम्न प्रकार हूँ नाम क्षेत्रफल (वर्ग मीलों सें) आबादी १. श्राघ प्रदेश १ ०५ ९६३ ३.१३ लाख
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