धर्मशास्त्र अर्थात पुराने और नये धर्म नियम | Dharmashastra Or Purane Aur Naye Dharma Niyam
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
52.66 MB
कुल पष्ठ :
760
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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घहां मांग ला 5 क्योंकि
से कद न कर सह,
पदा। लूृत क
ब्ंगीकार की हैं;
को मैं नाश न करूंगा। फ््ती
अब सफ नू बहां न पहुंच तय तक
इसी फारण टस नगर पा नाम साधर
लिफ्ट पहुंचते हा सर्द पृथ्वी पर उस
द्पनी घोर से सदमे: दौर 'ग्रमोरा
गन्यर, और 'याग, यरसाएं ब्मीर टन
सम्पूर्ण तराई फो, योर नगरों के सब
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निवासिया फो भूमि फी सारी उपन समेत नाश फर
दिया । लत कं पद्टी ने जो. उसर्क दीदे थी. चष्ट
करके पीछे पा योर देखा घोर पट नमक फा खरभा
यन गई। भोर को इचादीम
गया, जा दद्द यहोवा सन्सुख सदा था
दौर घमोरा, योर उस तरा के सारे देगा फ चार घास
उठा फर पया दवा (कि उस देश से से घधपफ्ती टुई
भट्टी फा सा भू्ों उठ रहा है । और _सय इश्ग कर
जय परमेरयर से तरा्र के नगरो फो जिन में लत
पर, धाफाण
नगरों फो 'घार उस
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रठा था उलद पुरट फर नादा किया तब उस ने इमाहाम
को याद फो उस घटना से या लिया ए
दर लत ने सोधर को छोद दिया, छोर पराए
पर दपनी दोना देटियों समेत रदने लगा; कयोफि
यद्द सार में रने से उरता था इसलिए यह घोर
उस पी दोनों पाया यदां एक गुफा से राने लगे 1
नप यरी पेदी छोटी से प्ला, एमारा पिता _ददा ५
दौर पप्दों भरें प्ले एसा पुरूर नहीं हो सस्पार
हक
न
» दी रीति के शलनुसार रमारे पारस
तपने पिता फो दास पिलाफर,
हिस से कि एम पे दिता के पंप पो
मो उन्दों ने उस
डाग्मण पिलाया, तय या परी जारर
दाग रा सटे पर ग्रन॑ न
श्ाण :
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के घना
आना, कि पद फय सदा
अम्स्मसारसरॉ नि न पे
[९ अपोए, घुसा
[५] बा चध
गो घा, रस .
उस फे साथ साएं. 1
ययाए रस । ;
दिन रात के समय दपने पिता फो '
न गई पर उत्ते रा, उस के
गर्भवती हुई 1
का नाम साधाप
. जा घान तर ६
मलपिता हु । योर टेी भी पक पुन ऊना घोर
उस का नाम चनस्नी रखा 1 पट दस्तोनदंणिया का
जो घ्राल तक *: मुलपिता हु '
। सार की उरपत्ति का यंग)
इघाहीन यहां. से सतत फर
रण ०. 1फ उत्खिन देश में छाकर फादणा
श्ूर के दीच में चदरा, परे गरार में रपने
इचादीम 'पपना पत्नि सारा के दिस्य में
कि दद सेरी यर्टिन है; सा गरार के राना
युवा लिया । रात
द्वीमिलेक के पास घ्ायर फद्ा,
रख लिया द, उस क॑ पारस तू मर
सुद्दागिन ए ।_परन्ठ दयीमेलेक तो
उस के पास न गया चार सो उसने फटा, हे प्रनु, दया मे
निर्दोष जाति फा भी घात करेगा? प्रया उसी ने स्पय सुर
से नददीं फरा; फि दर सेरी यदिन हैं १ सौर उस सखी ने भी
बाय कहा, कि दद्द मस भाई हि में ने तो धपने मन फा
ग्वराई धार पे य्यवदार फी सचाध से” यदद फाम
फ्या । परमेरयर ने. उस से स्वप्न में पढ़ा, झ मी
जानता हूं, फि परन मन फो सार से ने. ने घर पाम
किया हैं, छोर से चुके रोफ भी रखा दि त. मरे
पदिर्द्ध पाप न फर इसी फारण में ने तुम फो उस एन
नहीं दिया । सो 'घय दस पुरप की पी को, दस फेर टै ३
इयोंफि बाद नदी ६; इमर तर लिये प्रापना परगा, परे
जाता रदगा दर याद से उसपान चर द, सा प्नन
पं. रिन, प्र रार कितने लोग हं सरप
ते। दिगान पट इमेल सर
पद परमपारियों फा पुनरान पे
द् श्गग थाम श्र
घुलयायर पर, रे
जाएगा, कि द्दद
नगपय मर
ने सगे. उ पर, सपने
सप पान सुना
श्प्ण १ मय सम द प्यास म्प्द ६
(९) बस पाए कत
(१) शुर ९ चबएश
ज्ञान न नया इस प्रकार चार ड
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