फाहियान और हुएनसंग की भारतयात्रा | Fahiyan Aur Huaensng ki Bharat yatra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.72 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१०
प्राचीन स्थानों का परिचय
कीइचा--सम्भवतः काशमीर या लद्ख या स्कारडो ।
संग पबत--के पूर्व के छै देश । ये काराकोरम पर्वत के श्रास पास के
देश होंगे जिनका पता नहीं लगता |
यू-हुई--वाटर्स महोदय का कहना है कि नक्शे में यह स्थान शकटास्क
के नाम से प्रसिद्ध है ।
कोहचा--सम्भवतः स्कारडो सगर, जहां से सिंधु को पार किया जा
सक्ता था | ः
तोसीह--यहद दारद देश था जिसकी राजधानी चिलास या दारद सिन्धु
के मुद्दाने के पास जंगलों में थी । हुएनसंग इसके विषय में
कुछ नहीं लिखता ।
चूचांग--दिन्दी नाम “ उद्यान ' है । स्वात के श्रास पास का देश |
यहां फल फूल बहुत होते हैं । जंगली स्थान है | शुमवस्तु भी
इसी का प्राचीन नाम है ।
शू-हो-तो--पता नहीं यह कौन सा देश था | शायद यदद फारिस के
राज्य का एक प्रदेश होवे ।
नगर--काबुल नदी पर स्थित एक प्राचीन राज्य । जलालाबाद से
३० मील की दूरी पर है । चीनी भाषा में यद्द न-क्री-हठ के
नाम से प्रसिद्ध है । ं
दहीलो--दिदा, जलालाबाद से पांच मील दक्षिण में स्थित है ।
दिमप्वत--कोहाट की वादी पर यह सफेद कोद नाम का पर्वत है ।
पोहना--व्तमान बन्नू जिला ।
पीदू -पांचाल देश मालूम होता है | बहुतों का मत है कि यह मिड़ा
देश है । ः
सेकाश्य- कन्नौज के पास एक अति प्राचीन प्राम दहै। ऋषि बाल्मीक
प्रणीत रामायण में भी इसका उल्लेख है ।
६
सोटनन्यें सब नाम भ्रेध्याय के क्रमानुसार लिखेगये हैं ।
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