फाहियान और हुएनसंग की भारतयात्रा | Fahiyan Aur Huaensng ki Bharat yatra

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Fahiyan Aur Huaensng ki Bharat yatra by ब्रजमोहनलाल वर्मा - Braj Mohanlal Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० प्राचीन स्थानों का परिचय कीइचा--सम्भवतः काशमीर या लद्ख या स्कारडो । संग पबत--के पूर्व के छै देश । ये काराकोरम पर्वत के श्रास पास के देश होंगे जिनका पता नहीं लगता | यू-हुई--वाटर्स महोदय का कहना है कि नक्शे में यह स्थान शकटास्क के नाम से प्रसिद्ध है । कोहचा--सम्भवतः स्कारडो सगर, जहां से सिंधु को पार किया जा सक्ता था | ः तोसीह--यहद दारद देश था जिसकी राजधानी चिलास या दारद सिन्धु के मुद्दाने के पास जंगलों में थी । हुएनसंग इसके विषय में कुछ नहीं लिखता । चूचांग--दिन्दी नाम “ उद्यान ' है । स्वात के श्रास पास का देश | यहां फल फूल बहुत होते हैं । जंगली स्थान है | शुमवस्तु भी इसी का प्राचीन नाम है । शू-हो-तो--पता नहीं यह कौन सा देश था | शायद यदद फारिस के राज्य का एक प्रदेश होवे । नगर--काबुल नदी पर स्थित एक प्राचीन राज्य । जलालाबाद से ३० मील की दूरी पर है । चीनी भाषा में यद्द न-क्री-हठ के नाम से प्रसिद्ध है । ं दहीलो--दिदा, जलालाबाद से पांच मील दक्षिण में स्थित है । दिमप्वत--कोहाट की वादी पर यह सफेद कोद नाम का पर्वत है । पोहना--व्तमान बन्नू जिला । पीदू -पांचाल देश मालूम होता है | बहुतों का मत है कि यह मिड़ा देश है । ः सेकाश्य- कन्नौज के पास एक अति प्राचीन प्राम दहै। ऋषि बाल्मीक प्रणीत रामायण में भी इसका उल्लेख है । ६ सोटनन्यें सब नाम भ्रेध्याय के क्रमानुसार लिखेगये हैं ।




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