भारतीय लोक कथाएँ भाग - १ | Bhartiya Lok Kathayen Bhag - 1
श्रेणी : कहानियाँ / Stories, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.59 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सित्य की कसौटी 1] क्धू
: पा साधु ने पतिन्पत्नी ' की बात सुनकर सोचा कि इस-अन्न को
खाने से पाप लगेगा । यहाँ 'ठहरना उचित नहीं है। ब्राह्मण
हाथ-पाँव घोने के लिये बड़े लोटे से जल भर कर लाया तो
साघु ने उससे कहा, “बच्चा, मैंने तुम लोगों की वातें फू
'हूं। दच्चे भगवान के अवतार हे ते है । उनका हिस्सा मैं के
खा सकता हूँ ! तुम यह वताओ कि आस-पास कोई धनी व्यक्ति
रहता है ? ' न
ब्राह्मण ने हाथ जोड़कर कहा “महाराज, यहाँ मोहल्ले में
सबते धनी व्यक्ति वीरभद्र नामक ड!वू है । लेकिन आप यह क्यों
पूछ रहे हैं ?” है
साधु तत्काल बोले, “बेटा मैंने निश्वय किया है कि आज उसी
के यहाँ रहूँगा ।””
यह वति सुनकर ब्राह्मण ने विनती की, “आपका उसके
यहाँ जाना उनित नहीं । उसके सिर सैकड़ों हत्या का पाप चढ़ा
-है। इसीलिये वह बहुत दान-पुण्य करता है। आप राोल्रि भर
यहाँ रहें ओर रूखा सुखा भोजन खाकर विश्वाम करें । यह
हमारा घन्य भाग है -कि हमें आपकी . सेवा करने का अवसर
मिला है । ः मी की
: ; ;जेकिन- साधु रुका नहीं,और अपना कमंडल उठाते हुये उसने
कहा, “मैं -फिर कभी - तुम्हारे यहाँ- अदृश्य आऊंगा 1 मैं तुम्हारे
आतिथ्य से संतुष्ट हूँ ।” यह कहकर साधु उसे भाशीर्वाद. देकर
चला गया 1 भा हि
साधु कुछ देर. बाद वीरभद्र की ऊची अदूटालिका पर पहुँचा
:और दरवान से.बोला,. “बेटा, अपने मलिक से जाकर कह दो
कि एक साधु द्वार पर बैठा हुआ उनकी - प्रतीक्षा कर रहा है 17
अम + हना कट ी
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