आग और धुआं | Aag Aur Dhuaa
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.41 MB
कुल पष्ठ :
171
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आचार्य चतुरसेन शास्त्री - Acharya Chatursen Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)फहरा दी । लोगों ने समझ लिया बस अब अंग्रेजों की खैर नहीं है । नवाब यह उद्दण्डता न सहन करेगा । दूसरे दिन २००० नवाबी सिपाही किले के सामने पहुँचे ही थे कि अंग्रेज अफसर लज्जा को वहीं छोड़ किले से भागने लगे । भागते जहाजों पर तड़ातड़ गोले बरसने लगे । अंग्रेज अपना गोला- बारूद नष्ट कर और अपनी झण्डी उखाड़ कलकत्ते लौट आये । यहाँ आकर उन्होंने कुष्णवल्लभ जो राजवल्लभ का पुत्र था और भागकर विद्रोह के अपराध में अंग्रेजों की शरण आ रहा था उसे इस डर से कैद कर लिया कि कहीं यह क्षमा माँगकर नवाब से न मिल जाय । अमीचन्द कलकत्ते का एक प्रमुख व्यापारी था । सेठों में जैसी प्रतिष्ठा जगतसेठ की थी व्यापारियों में बह्टी दर्जा अमीचन्द का था । यह व्यक्ति भारतवर्ष के पश्चिमी प्रदेश का बनिया था । अंग्रेजों ने उसी की सहायता से बंगाल में वाशिज्य-विस्तार का सुभीता पाया था । उसी की माफंत अंग्रेज गाँव-गाँव रुपया बाँटकर कपास तथा रेशमी वस्त्र की खरीद में खूब रुपया पदा कर सके थे । उसकी सहायता न होती तो अंग्रेज लोगों को अपरिचित देश में अपनी शक्ति बढ़ाते और प्रतिष्ठा प्राप्त करने का मौका कदापि न मिलता । केवल व्यापारी कहने ही से अमीचन्द का परिचय नहीं मिल सकता । विशाल महंलों से सजी हुई उसकी राजधानी तरह-तरह की पुष्प-बेलियों से परिपूरित उसका वृहत्राज-भण्डार सशस्त्र सैनिकों से सुसज्जित उसके महल का विशाल फाटक देखकर औरों की तो बात क्या है स्वयं अंग्रेज उसे राजा मानते थे । अनेक बार अमीचन्द ही के अनुग्रह से अंग्रेजों की इज्जत बची थी । अमीचन्द का महल बहुत ही आलीशान था । उसके भिन्न-भिन्न विभागों में सैकड़ों कमेंचारी हर वक्त काम किया करते थे । फाटक पर पर्याप्त सेना उसकी रक्षा के लिये तैयार रहती थी। वह कोई .मामूली सौदागर न था बट्कि राजाओं की भाँति बड़ी शान-शौकत से रहता था । नवाब के दरबार में उसका बहुत आदर था और नवाब उसे इतना मानते थे कि कोई आफत-मुसीबत आने पर नवाब-सरकार से किसी तरह की सहायता लेने के लिये लोग प्राय अमीचन्द की ही शरण लेते । श्र
User Reviews
No Reviews | Add Yours...