आग और धुआं | Aag Aur Dhuaa

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Book Image : आग और धुआं  - Aag Aur Dhuaa

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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फहरा दी । लोगों ने समझ लिया बस अब अंग्रेजों की खैर नहीं है । नवाब यह उद्दण्डता न सहन करेगा । दूसरे दिन २००० नवाबी सिपाही किले के सामने पहुँचे ही थे कि अंग्रेज अफसर लज्जा को वहीं छोड़ किले से भागने लगे । भागते जहाजों पर तड़ातड़ गोले बरसने लगे । अंग्रेज अपना गोला- बारूद नष्ट कर और अपनी झण्डी उखाड़ कलकत्ते लौट आये । यहाँ आकर उन्होंने कुष्णवल्लभ जो राजवल्लभ का पुत्र था और भागकर विद्रोह के अपराध में अंग्रेजों की शरण आ रहा था उसे इस डर से कैद कर लिया कि कहीं यह क्षमा माँगकर नवाब से न मिल जाय । अमीचन्द कलकत्ते का एक प्रमुख व्यापारी था । सेठों में जैसी प्रतिष्ठा जगतसेठ की थी व्यापारियों में बह्टी दर्जा अमीचन्द का था । यह व्यक्ति भारतवर्ष के पश्चिमी प्रदेश का बनिया था । अंग्रेजों ने उसी की सहायता से बंगाल में वाशिज्य-विस्तार का सुभीता पाया था । उसी की माफंत अंग्रेज गाँव-गाँव रुपया बाँटकर कपास तथा रेशमी वस्त्र की खरीद में खूब रुपया पदा कर सके थे । उसकी सहायता न होती तो अंग्रेज लोगों को अपरिचित देश में अपनी शक्ति बढ़ाते और प्रतिष्ठा प्राप्त करने का मौका कदापि न मिलता । केवल व्यापारी कहने ही से अमीचन्द का परिचय नहीं मिल सकता । विशाल महंलों से सजी हुई उसकी राजधानी तरह-तरह की पुष्प-बेलियों से परिपूरित उसका वृहत्राज-भण्डार सशस्त्र सैनिकों से सुसज्जित उसके महल का विशाल फाटक देखकर औरों की तो बात क्या है स्वयं अंग्रेज उसे राजा मानते थे । अनेक बार अमीचन्द ही के अनुग्रह से अंग्रेजों की इज्जत बची थी । अमीचन्द का महल बहुत ही आलीशान था । उसके भिन्न-भिन्न विभागों में सैकड़ों कमेंचारी हर वक्‍त काम किया करते थे । फाटक पर पर्याप्त सेना उसकी रक्षा के लिये तैयार रहती थी। वह कोई .मामूली सौदागर न था बट्कि राजाओं की भाँति बड़ी शान-शौकत से रहता था । नवाब के दरबार में उसका बहुत आदर था और नवाब उसे इतना मानते थे कि कोई आफत-मुसीबत आने पर नवाब-सरकार से किसी तरह की सहायता लेने के लिये लोग प्राय अमीचन्द की ही शरण लेते । श्र




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