आग और धुआं | Aag Aur Dhuaa

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Aag Aur Dhuaa by आचार्य चतुरसेन - Achary Chatursen

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आचार्य चतुरसेन शास्त्री - Acharya Chatursen Shastri

Add Infomation AboutAcharya Chatursen Shastri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
फहरा दी । लोगों ने समझ लिया बस अब अंग्रेजों की खैर नहीं है । नवाब यह उद्दण्डता न सहन करेगा । दूसरे दिन २००० नवाबी सिपाही किले के सामने पहुँचे ही थे कि अंग्रेज अफसर लज्जा को वहीं छोड़ किले से भागने लगे । भागते जहाजों पर तड़ातड़ गोले बरसने लगे । अंग्रेज अपना गोला- बारूद नष्ट कर और अपनी झण्डी उखाड़ कलकत्ते लौट आये । यहाँ आकर उन्होंने कुष्णवल्लभ जो राजवल्लभ का पुत्र था और भागकर विद्रोह के अपराध में अंग्रेजों की शरण आ रहा था उसे इस डर से कैद कर लिया कि कहीं यह क्षमा माँगकर नवाब से न मिल जाय । अमीचन्द कलकत्ते का एक प्रमुख व्यापारी था । सेठों में जैसी प्रतिष्ठा जगतसेठ की थी व्यापारियों में बह्टी दर्जा अमीचन्द का था । यह व्यक्ति भारतवर्ष के पश्चिमी प्रदेश का बनिया था । अंग्रेजों ने उसी की सहायता से बंगाल में वाशिज्य-विस्तार का सुभीता पाया था । उसी की माफंत अंग्रेज गाँव-गाँव रुपया बाँटकर कपास तथा रेशमी वस्त्र की खरीद में खूब रुपया पदा कर सके थे । उसकी सहायता न होती तो अंग्रेज लोगों को अपरिचित देश में अपनी शक्ति बढ़ाते और प्रतिष्ठा प्राप्त करने का मौका कदापि न मिलता । केवल व्यापारी कहने ही से अमीचन्द का परिचय नहीं मिल सकता । विशाल महंलों से सजी हुई उसकी राजधानी तरह-तरह की पुष्प-बेलियों से परिपूरित उसका वृहत्राज-भण्डार सशस्त्र सैनिकों से सुसज्जित उसके महल का विशाल फाटक देखकर औरों की तो बात क्या है स्वयं अंग्रेज उसे राजा मानते थे । अनेक बार अमीचन्द ही के अनुग्रह से अंग्रेजों की इज्जत बची थी । अमीचन्द का महल बहुत ही आलीशान था । उसके भिन्न-भिन्न विभागों में सैकड़ों कमेंचारी हर वक्‍त काम किया करते थे । फाटक पर पर्याप्त सेना उसकी रक्षा के लिये तैयार रहती थी। वह कोई .मामूली सौदागर न था बट्कि राजाओं की भाँति बड़ी शान-शौकत से रहता था । नवाब के दरबार में उसका बहुत आदर था और नवाब उसे इतना मानते थे कि कोई आफत-मुसीबत आने पर नवाब-सरकार से किसी तरह की सहायता लेने के लिये लोग प्राय अमीचन्द की ही शरण लेते । श्र




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now